हजरत इमाम-ए-हुसैन नाम नहीं पैगाम

 हजरत इमाम-ए-हुसैन नाम नहीं पैगाम है : मौ. मंसूर

अल्लाह ताआला ने अपने कलाम में कई मुकाम पर हजरत अबूबक्र सिद्दीक की फजीलत फरमाई. इस अवसर पर मौलाना अब्दुल हलीम ने भी हजरत अबूबक्र की फजीलत बयान की. माल एवेन्यू स्थित दरगाह हजरत शाहे रजा में जलसे को खिताब करते हुए कारी मोहम्मद जरीफ ने कहा कि इस्लाम में जितनी भी शहादते हुई हैं उसमें हजरत इमाम हुसैन की शहादत सबसे अलग और बुलंद मर्तबा रखती है. हजरत इमाम-ए-हुसैन अपने नाना पैगम्बर हजरत मोहम्मद स.अ. की शबीह थे. जिसने हजरत इमाम हुसैन से अदावत की, मानों उसने पैगम्बर हजरत मोहम्मद से अदावत की. ऐसा करने वालों की खुदा के यहां भी बख्शिश न होगी. कर्बला का वाकिया मोमिनों के लिए बहुत बड़ा सबक है. कर्बला की जंग सिर्फ एक जंग तक सीमित नहीं थी. वहां एक तरफ जन्नत थी तो दूसरी तरफ जहन्नुम थी. अब हमें देखना होगा कि हम यजीद की पैरोकारी करके जहन्नुम का चुनाव करते हैं या हजरत इमाम हुसैन की पैरोकारी करके जन्नत चुनते हैं.

 
 
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