राहत की बात
कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में राजधानी दिल्ली से मिल रहे आंकड़े राहत देने वाले हैं।
राहत की बात |
कोविड-19 के खिलाफ हुए सीरोलॉजिकल सर्वे में दिल्ली में 56 फीसद लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है। मतलब ये वे लोग हैं, जिन्हें कोरोना हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला और वे ठीक हो गए। अब उनके शरीर में इस वायरस के खिलाफ प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी है। दिल्ली की आधी आबादी से ज्यादा लोगों में अब तक कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए दिल्ली के पांचवें सीरो सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। इससे पहले चौथे सीरो सर्वे की तुलना में 30 फीसद ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी मिली है। इस सीरो सर्विलांस के आधार पर कहा जा सकता है कि दिल्ली र्हड इम्यूनिटी के करीब पहुंच गई है। इस पांचवें सीरो सर्वे में अब तक सबसे ज्यादा 28 हजार सैंपल की जांच की गई है। सभी 280 वॉर्ड से सौ-सौ सैंपल लिए गए थे। इसकी जांच इंस्टीटय़ूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में की गई। सीरो सर्विलांस में 56.13 फीसद सैंपल में एंटीबॉडी पॉजिटिव पाई गई।
यह अब तक की सबसे बड़ी रिपोर्ट है। अच्छी बात यह है कि 56 फीसद एंटीबॉडी के ये आंकड़े नवम्बर-दिसम्बर के आसपास के हैं। उसके बाद इतना समय बीत गया, तो निश्चित रूप से इसमें और भी इजाफा हुआ होगा। अगर यह इसी तरह आगे बढ़ती रहे तो अच्छी बात है। मगर सिर्फ इतने भर से कोरोना से जंग जीतना आसान नहीं होगा। हमें निर्देशों का पालन करते रहना होगा। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और हमेशा हाथ धोने और सैनिटाइजर का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। ब्राजील में तो करीब 73 फीसद आबादी में र्हड इम्यूनिटी पाई गई थी, इसके बावजूद वहां कोरोना की दूसरी बड़ी लहर आई और कइयों को अपनी चपेट में ले लिया। एक और तथ्य को ध्यान में रखने की जरूरत है।
प्राकृतिक रूप से प्राप्त इम्यूनिटी दो से तीन महीने में खत्म हो जाती है। इसकी पूर्णता या स्थायी इम्यूनिटी के लिए वैक्सीन की डोज आवश्यक है। इस नाते सरकार के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण है। खासकर दिल्ली जैसे महानगर के लिए जहां बड़ी सख्या में लोग देश के कई हिस्सों से आते-जाते हैं। लिहाजा, यहां की जनता और सरकार, दोनों को ज्यादा सतर्क रहना होगा। थोड़ी सी लापरवाही के अंजाम भयावह हो सकते हैं।
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