भारत-चीन के रिश्तों ने ली नई करवट

Last Updated 23 Oct 2024 01:16:48 PM IST

भारत और चीन ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में कुछ लचीला रुख अपनाया है जिससे दोनों देशों के रिश्तों में पिछले चार साल से जमी बर्फ पिघलती दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के बीच तनाव शैथिल्य और सीमा पर गशत को लेकर एक महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ है।


नई करवट

यदि नई दिल्ली और बीजिंग इस समझौते की भावना के अनुकूल विवादित क्षेत्र से अपने-अपने सैनिकों की वापसी की दिशा में ठोस कदम उठाते हैं तो इस समझौते से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और द्विपक्षीय संबंध पुनर्जीवित हो सकते हैं।

विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने सोमवार को ही समझौते की घोषणा की। इस समझौते से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत और चीन के सेना के बीच डेमचोक और देपसांग की स्थिति को लेकर जो विवाद था उसका समाधान हो गया। अब यहां से सैनिकों की वापसी होगी और गशत फिर से शुरू होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कार्यक्रम में बताया कि भारत और चीन की सेना पुरानी स्थिति यानी अप्रैल 2020 की स्थिति में लौट जाएंगी।

वास्तव में जुलाई 2024 में भारत-चीन संबंधों को लेकर कूटनीतिक जगत में काफी चर्चा हुई थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी लाओस यात्रा के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी से विचार विमर्श किया था। यह संभव है कि इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शिखर वार्ता आयोजित करने पर चर्चा हुई हो।

रूस के कजान में हो रही ब्रिक्स शिखर वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग् के बीच द्विपक्षीय बैठक के लिए आवश्यक माहौल बनाने के सिलसिले में दोनों देशों ने सीमाओं से सैनिक हटाने का फैसला लिया हो। जाहिर है इससे शिखर वार्ता के पक्ष में जनमत अनुकूल रहेगा। यदि राष्ट्रपति जिनपिंग रणनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हैं तो द्विपक्षीय संबंध वुहान और महाबलीपुरम की भावना को फिर से जागने का मौका हो सकता है।

रूस की ओर से भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए लगातार कोशिश होती रही है। रूस के विदेश मंत्री सग्रेई लावरोव रणनीतिक त्रिगुट रूस-भारत-चीन (रिक) प्रक्रिया के तहत तीनों देश पूर्व में विचार-विमर्श करते रहे हैं। गलवान घटनाक्रम के बाद यह प्रक्रिया बंद हो गई है।

पुतिन यह चाहेंगे कि भारत, रूस और चीन के बीच रणनीतिक त्रिकोण की प्रक्रिया पुनर्जीवित हो। सीमा विवाद के बावजूद चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत चीन से निवेश का इच्छुक है। इसे सरकार की नीति में बदलाव भी कहा जा सकता है।



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