ऑक्सीजन पर ’दमघोंटू‘ सियासत

Last Updated 26 Jun 2021 10:11:01 AM IST

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत के ऑडिट के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताई और 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता के लिए फॉमरूले से चार गुना अधिक 1140 एमटी ऑक्सीजन का दावा किया।


ऑक्सीजन पर ’दमघोंटू‘ सियासत

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘गलत फॉमरूले’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 एमटी मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन का दावा किया।

शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और ऑक्सीजन के आवंटन का ऑडिट करने के लिए एक उप-समूह गठित किया था और कहा था कि इसमें एम्स के रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुधिराजा और दो आईएएस अधिकारी शामिल हो, जो संयुक्त सचिव की रैंक से कम के अधिकारी न हो। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली में चार मॉडल अस्पतालों सिंघल अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल, ईएसआईसी मॉडल अस्पताल और लाइफरे अस्पताल ने बहुत कम बिस्तरों के लिए बहुत ज्यादा ऑक्सीजन खपत का दावा किया और ये दावे साफ तौर पर ‘गलत’ लगते हैं।

शीर्ष न्यायालय को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपने वाली समिति ने कहा कि उप-समूह की बैठकों के दौरान उसे प्रोफार्मा से मिले आंकड़ों में ‘घोर विसंगतियां’ मिलीं। 23 पृष्ठों की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 700 एमटी का आवंटन करने की मांग किस आधार पर की।’ राष्ट्रीय कार्य बल की 163 पृष्ठों की इस अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि सरकार ने गलत फॉमरूले का इस्तेमाल किया और 30 अप्रैल को बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए।’ यह भी देखा गया कि कुछ अस्पताल किलो लीटर और मीट्रिक टन के बीच भेद नहीं कर सके और 700 एमटी का दावा करते हुए भी इसकी जांच नहीं की गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विस्तारपूर्वक चर्चा के बाद उप-समूह इस नतीजे पर पहुंचा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की ऑक्सीजन की मौजूदा आवश्यकता 290 से 400 एमटी है। इसके अनुसार ऐसी सिफारिश की जाती है कि दिल्ली को 300 एमटी का कोटा दिया जाए।’’

 

एसएनबी
नई दिल्ली


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