बंद हुआ कारोबार
अमेरिकी निवेश व अनुसंधान कंपनी हिडनबर्ग रिसर्च ने अचानक अपना कारोबार समेटने का ऐलान कर दिया। कंपनी के संस्थापक नेट एंडरसन ने अपने परिचितों, परिवार व मित्रों का हवाला देते हुए वेबसाइट पर पर्सनल नोट में लिखा- मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का फैसला किया है।
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नेट ने कहा यह अचानक लिया गया फैसला नहीं है। काफी सोच-समझकर लिया गया फैसला है। 2017 में हिंडनबर्ग रिसर्च का गठन करने वाले एंडरसन ने इसे अपने जीवन का एक अध्याय बताते हुए, जीवन का मुख्य केंद्र नहीं है कहा। अमेरिकी अकाउंटेंट हैरी माकरेपोलस को अपना रोल मॉडल मानने वाले एंडरसन ने ऐसे वक्त यह घोषणा की है, जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेने वाले हैं।
आलोचकों के अनुसार जॉर्ज सोरेस के साथ हिंडनबर्ग के कथित संबंधों व ट्रंप प्रशासन के दबाव का अंदेशा व्यक्त किया है। इस शॉर्ट सेलिंग कंपनी को 2024 में भारतीय बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। क्योंकि कंपनी ने सेबी प्रमुख माधवी बुच पर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप मढे थे। उससे पहले हिंडनबर्ग ने देश के प्रमुख औद्योगिक समूह अडाणी पर गंभीर आरोपों द्वारा भारत में सुर्खियां बटोरी थीं।
समूह के मालिक गौतम अडानी पर अपनी ही कंपनियों के शेयरों में हेराफेरी कर सौ अरब डॉलर कमाने का आरोप था। रिपोर्ट सार्वजनिक होते ही अडानी ग्रुप को डेढ़ सौ अरब डॉलर का नुकसान होते ही वह विश्व के बीस अतिसमृद्धों की सूची से बाहर हो गए। हिंडनबर्ग की रिपोटरे का हवाला देकर विपक्ष ने एकजुट होकर मोदी सरकार पर हमला बोल दिया था।
हिंडनबर्ग ने अमेरिका के अलावा विदेशों की विभिन्न कंपनियों में गैर-कानूनी लेन-देन व वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया, जिससे उनके शेयर्स बुरी तरह ध्वस्त होने से उन्हें जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ा। अरबपतियों व कुलीन वर्ग के साम्राज्य को हिलाने की जरूरत पर जोर देने वाली कंपनी के इस फैसले से खुश होने वाले भले ही चुनिंदा हैं मगर हतप्रभ रहने वाले लाखों हैं।
असल में यह फैसला उसे क्यों लेना पड़ा, जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता, हर कोई अपने-अपने कयास लगाता रहेगा। दुनिया भर को अपने निशाने पर रखने वाले एंडरसन ने अभी अपनी भविष्य की योजनाओं के भी स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। हो न हो, वह बड़ी तैयारी से कुछ अनोखा ही कर दिखाएंगे।
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