नया सेज बिल : तेज होगा आर्थिक विकास

Last Updated 02 Aug 2022 12:12:09 PM IST

सरकार मौजूदा मानसून सत्र में स्पेशल इकॉनिमिक जोन (सेज) के लिये डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्राइज एंड सर्विसेज हब नामक नया बिल प्रस्तावित करने की योजना बना रही है।


नया सेज बिल : तेज होगा आर्थिक विकास

इस बिल के द्वारा सरकार, देश के 268 विशेष आर्थिक क्षेत्रों को नया नाम, नया स्वरूप और नयी कार्यप्रणाली प्रदान करने की तैयारी में है। नये बिल में 2005 में पारित मौजूदा सेज कानून की जगह संशोधित और समावेशी नियमों की प्रस्तावना की गई है। जिसका उद्देश्य विशेष आर्थिक क्षेत्र में उद्यमियों की रुचि को बढ़ाने के अलावा सेज इकाइयों को समन्वित आर्थिक विकास केंद्र के तौर पर विकसित करना है।

सेज इकाइयों को अब विकास केंद्रों के नाम से जाना जाएगा, साथ ही व्यापार और विकास को अवरुद्ध करने वाले कानूनों को भी हटाया जाएगा। ये हब घरेलू प्रशुल्क क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र की दोहरी भूमिका निभाते हुए निर्यात-उन्मुख औद्योगिक विकास और घरेलू निवेश दोनों की सुविधा प्रदान करेंगे। वर्तमान में सेज इकाइयों में बाहर से आपूर्ति में कर गणना में समस्या होती है, इसीलिए नये बिल में घरेलू बाजार में आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर एक समान कर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।

अभी तक हमारे देश में सेज का मुख्य उद्देश्य संबद्ध कंपनियों को कर में लाभ देना रहा है। जैसे पहले पांच वर्षो के निर्यात आय पर शत प्रतिशत, अगले पांच वर्षो के लिए 50%, और उसके अगले पांच वर्षो के लिए निर्यात लाभ पर  50% का आयकर छूट है। लेकिन न्यूनतम वैकल्पिक कर छूट का समय समाप्त होने के बाद सेज इकाइयों के निर्यात और व्यापार में प्राय: गिरावट देखी जाती है। आज देश में सेज के लिये आवंटित कुल क्षेत्र में से आधे ही उपयोग में हैं। प्रत्यक्ष तौर पर विशेष आर्थिक क्षेत्र को और वृहत्त और बेहतर बनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर चीन के एक सेज को आवंटित 49000 हेक्टेयर का विशेष आर्थिक क्षेत्र हमारे देश भारत में सेज के लिए आवंटित 47000 हेक्टेयर के समूचे क्षेत्रफल से ज्यादा है।

हमारे देश में न्यूनतम 50 हेक्टेयर से भी कम जमीन पर सेज का आवंटन हो जाता है, यही नहीं सेवा क्षेत्र के सेज तो अकेले भवन से भी संचालित होते हैं। सेज के छोटे आकार के कारण उच्च कोटि के सामान्य सुविधाओं का निष्पादन नहीं हो पाता है, नतीजतन सेज सिर्फ  कर बचत का माध्यम बनकर रह गए हैं। इसके अलावा, विश्व व्यापार संगठन के विवाद समाधान पैनल के अनुसार वर्तमान सेज योजना सहित भारत की निर्यात संबंधी नीतियां वैश्विक व्यापार के अनुरूप नहीं हैं, क्योंकि वे कर लाभ को सीधे निर्यात से जोड़ते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भागीदार देशों को सीधे निर्यात पर सब्सिडी देने पर रोक है, क्योंकि यह वैश्विक बाजार में मूल्यों को विकृत कर सकता है।

प्रस्तावित विकास केंद्रों का व्यापक उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है। प्रस्तावित बिल में वर्तमान नियमों के अनुसार पांच वर्षो में संचयी रूप से शुद्ध विदेशी मुद्रा सकारात्मक होने की अनिवार्यता को हटा दिया गया है। अब आयात से अधिक निर्यात हासिल किये बिना भी कंपनियां सुचारु रूप से परिचालन कर पाएंगी। साथ ही देश के अंदर घरेलू बाजार में उत्पाद और सेवाओं की बिक्री को भी सुगम बनाया जाएगा।

विकास केंद्रों में अवस्थित उद्यमों के कर नियमों को आसान और तर्कसंगत बनाने का भी प्रावधान है, ताकि अधिकाधिक व्यवसायियों को विकास केंद्रों से जोड़ा जा सके। सूचना प्रोद्यौगिकी कंपनियों को आवंटित वैसे सभी कार्यालयों का आवंटन रद्द किया जाएगा, जो कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम के कारण या तो खाली हैं या उपयोग क्षमता से कम हो रहा है। इस बिल में, विकास केंद्रों के सुविधापूर्वक और सुचारु  संचालन के लिए एक ऑनलाइन एकल खिड़की पोर्टल का प्रावधान किया गया है, जो अधिकांश सेवाओं का समयबद्ध निष्पादन करेगा।

निश्चित तौर पर अभी हम विशेष आर्थिक क्षेत्र के विकास के शुरु आती दौर में हैं और चीन या आयरलैंड की सफलता को दोहराने के लिए हमें अथक प्रयास करते रहना होगा। हालांकि प्रस्तावित बिल में वर्तमान बिल के अधिकांश कमियों को सुधारने का प्रयास किया गया है, लेकिन कुछ और पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे सरकारी और न्यायिक बाधाओं को हटाकर प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाना, पुराने आवंटन को गुणवत्ता के आधार पर जारी रखना या रद्द करना, नये आवंटन में अच्छा काम कर रहे कंपनियों को वरीयता देना।

बड़े बहुराष्ट्रीय संस्थाओं को आकर्षित करना होगा ताकि देश में उत्पादन और विदेशी निवेश बढ़ता रहे। बढ़िया यातायात सुविधा प्रदान कर कच्चे माल की आपूर्ति और निर्मिंत माल को उपभोक्ता तक पहुंचाने की प्रक्रिया को सुगम बनाना होगा। सेज के अलावा अन्य उत्पादन केंद्रों को भी नये बिल में प्रस्तावित योजनाओं से जोड़ना लाभप्रद होगा। साथ ही ध्यान देना होगा कि प्रस्तावित विकास केंद्रों का उपयोग सिर्फ  कर बचाने के बजाय वास्तविक आर्थिक विकास के लिये हो।

प्रभात सिन्हा


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