सामयिक : गिरफ्तारी के मायने
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा शिवसेना नेता संजय राउत की गिरफ्तारी केवल समय की बात थी।
सामयिक : गिरफ्तारी के मायने |
उच्चतम न्यायालय द्वारा ईडी की कुर्की, गिरफ्तारी आदि को सही ठहराने के बाद ईडी अधिकारियों का आत्मविश्वास बढ़ गया है। 22 जुलाई को ईडी ने पात्रा चॉल मामले में सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर से पूछताछ की तभी यह साफ हो गया कि राऊत के इर्द-गिर्द शिंकजा कस चुका है। स्वप्ना ने एक ऑडियो क्लिप रिलीज किया जिसमें एक व्यक्ति उसे धमकी और गालियां दे रहा हैं जिसके बारे में उसका कहना था कि वह राउत हैं जिन्होंने बार-बार उन्हें और उनके परिवार को धमकी दी। राउत गिरफ्तार किये जाने वाले अकेले व्यक्ति नहीं रहेंगे। इसके बाद उनके परिवार, और कई दोस्तों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इसके पूर्व उनके दोस्त और व्यवसायी प्रवीण राउत पहले ही महाराष्ट्र की आर्थिक अपराध शाखा और बाद में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
संजय राउत को गिरफ्तार करने से पहले ईडी ने कई संपत्तियां अटैच की हैं। ईडी ने अलीबाग में आठ भूमि के टुकड़ों और दादर के गार्डन कोर्ट में एक फ्लैट को धनशोधन मुकदमे के तहत अटैच किया। अलीबाग के किहिम बीच के भूखंड संजय राउत की पत्नी वष्रा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम से है तो दादर के गार्डन कोर्ट में वष्रा राउत के नाम। ईडी ने राउत के दोस्त प्रवीण राउत के 9 करोड़ की संपत्ति को भी इसमें अटैच किया। 5 अप्रैल 2022 को ईडी की प्रेस रिलीज में कहा गया था कि उसने धन शोधन निषेध कानून के तहत 11.15 करोड़ की अचल संपत्ति अटैच की है। ईडी ने आरोप लगाया है कि संजय राउत के परिवार ने इन संपत्तियों को पात्रा चॉल की संपत्तियों को धोखाधड़ी से बेचने से प्राप्त धन से खरीदा है। ध्यान रखने की बात है कि ईडी राऊत उनके दोस्तों और साझेदारों तक तब पहुंची जब पीएमसी यानी पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटालों की जांच में शामिल हो गई थी। इसी में से वष्रा राउत के नाम रु पये हस्तांतरित किए गए थे और वहीं से जांच की दिशा उस ओर भी मुड़ी।
वैसे यह मुकदमा मुख्यत: मुंबई के गोरेगांव पश्चिम के पात्रा चॉल में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से संबंधित है। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पात्रा चॉल के पुनर्विकास में अनियमितताओं, धोखाधड़ी एवं संशोधन का विकराल तांडव देखने को मिलता है। पीएमसी में निवेशकों के 4355 करोड़ रु पए का घोटाला हुआ था और इसमें एचडीआईएल या हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की बड़ी भूमिका सामने आई थी।
पैसे कहां कहां गए इसकी छानबीन से पता चला कि करीब 100 करोड़ रुपये एचडीआईएल से प्रवीण राउत के खाते में भेजे गए। प्रवीन राऊत के खाते से राशि उनके निकट लोगों परिवारिक सदस्यों तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों के खात में गयी। वष्रा के खाते में इसमें से 83 लाख गए, जिससे दादर का फ्लैट खरीदा गया। ईडी के अनुसार अलीबाग में टीम बीच पर 8 भूखंड इसी के पैसे से खरीदे गए जो वष्रा और सपना पाटकर के नाम से है। इस भूमि की खरीद में नगद भुगतान किया गया जिसका हिसाब कहीं नहीं लिखा है। इसी की छानबीन के बाद इनकी संपत्तियों को कुर्क किया गया। इसी में सुजीत पाटकर का नाम आया जो संजय राउत की दोनों बेटियों के व्यावसायिक साझेदार है।
सुजीत पाटकर की शराब कंपनी मैगपी डीएफएस प्राइवेट लिमिटेड में 16 वर्षो से संजय राउत की बेटियां पूर्वसी और विधिता पार्टनर हैं। पाटकर की पत्नी और संजय राऊत की पत्नी ने संयुक्त रूप से अलीबाग में जमीन खरीदी थी। प्रवीन राउत भी पाटकर से जुड़ा हुआ था। यहां यह भी जानना जरूरी है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड एचडीआईएल यानी हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है। एचडीआईएल पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी के 4355 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में ईडी तथा अन्य एजेंसियों की जांच के घेरे में है।
इसे राजनीतिक मामला बताने वाले जरा सोचे कि उन 672 किरायेदारों पर क्या गुजरी होगी, जब उन्हें पता चला होगा की बिना फ्लैट बनाए ही उस जगह को बेच दिया गया। उनके बारे में भी सोचें जिनके पैसे पीएमसी घोटाले में डूब गए। कई बिल्डरों से 234 करोड़ रुपये एचडीआईएल के लेजर के अनुसार पालघर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए प्रवीण राउत को दिये गए थे। ईडी ने राउत की पत्नी से पीएमसी बैंक मामले में प्रवीण राउत की पत्नी के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ की। इसके अनुसार प्रवीण राऊत ने अपनी पत्नी माधुरी प्रवीण राउत को एक करोड़ 60 लाख रु पया दिये थे। माधुरी राउत ने इनमें से 55 लाख 50 हजार 23 दिसम्बर, 2010 को तथा 5 लाख 15 मार्च, 2011 को ब्याज मुक्त कर्ज के रूप में वर्ष राउत को दिये थे। छानबीन से स्पष्ट हुआ कि वष्रा राऊत और माधुरी राउत अवानी कंस्ट्रक्शन में पार्टनर हैं और वष्रा राउत ने इससे 12 लाख रु पया प्राप्त किया जो कर्ज में बदल दिया गया जबकि इनका योगदान केवल 5625 रु पया था। क्या इसके बावजूद कोई कह सकता है कि इन सब ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार नहीं किया या इसमें धनशोधन का मामला नहीं था तो क्या कहा जाएगा?
ईडी का तो इसमें बाद में प्रवेश हुआ। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईएफओ ने सबसे पहले पात्रा चॉल के पुनर्विकास की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज दर्ज की था। इसी के तहत प्रवीण एवं अन्य की गिरफ्तारियां हुई थी। जब इस में भारी पैमाने पर नकदी का मामला आया तो ईडी ने अक्टूबर, 2020 में मुकदमा दर्ज किया।
पूरी छानबीन बताती है कि संजय राउत की इन सब में मुख्य भूमिका थी। उनके प्रभाव से काम आसान होते थे तथा पैसे हस्तांतरण एवं सौदे आदि की बातचीत उनकी सहमति या उनके सुझाव पर किए जाते थे। इसके राजनीतिक पहलू को कोई नकार नहीं सकता। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के वे मुख्य स्तंभ थे। उन्हीं के बयानों एवं कदमों से राजनीतिक हलचल मची थी। तो उनका भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होने से ना केवल उनकी बल्कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना की भावी राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। किंतु राजनीति से बड़ी बात यह भ्रष्टाचार है। राजनीति में अपने पद और सत्ता की ताकत से आप किस तरह नियमों कानूनों को धता बताकर आम आदमी के हिस्से की राशि हड़पते हैं इसका एक भयावह और शर्मनाक उदाहरण है।
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