पांच वर्षो की सुखद ’उड़ान‘ यात्रा

Last Updated 01 Aug 2022 12:13:37 PM IST

क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना ‘उड़ान’ की पांचवीं वषर्गांठ न सिर्फ उत्सव भरा वातावरण बनाएगी, बल्कि इस महत्त्वाकांक्षी योजना के शुभारंभ के बाद से अब तक सीखे गए सबक पर भी जोर देगी।


पांच वर्षो की सुखद ’उड़ान‘ यात्रा

 ‘उड़े देश का आम नागरिक’ यानी ‘उड़ान’ ने देश के कोने-कोने में आम नागरिकों को किफायती हवाई सेवाएं प्रदान की हैं। जुलाई, 2022 के मध्य तक ‘उड़ान’ के तहत 68 शहरों को जोड़ते हुए 425 मागरे पर विमान सेवाएं शुरू की जा चुकी हैं। एक करोड़ से अधिक लोगों ने अब तक वंचित रहने वाले या अपेक्षाकृत कम हवाई सेवा वाले इन गंतव्यों तक किफायती हवाई यात्रा का लाभ उठाया है। किफायती क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रदान करने की दिशा में ‘उड़ान’ की सफलता भौतिक अथरे में निहित नहीं है, बल्कि यह योजना हवाई यात्रा के प्रति राष्ट्र के संकल्पित बदलाव को दर्शाती है।

‘उड़ान’ की शुरुआत किफायती कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की योजना के रूप में की गई थी, लेकिन इसने विकास का एक दिलचस्प मॉडल भी प्रस्तुत किया है। उड्डयन क्षेत्र शीघ्रता से उस दिशा में बढ़ रहा है जहां रेलवे की द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी और उससे ऊपर की श्रेणी के यात्री विमान सेवाओं की तरफ उन्मुख हो रहे हैं। ‘उड़ान’ ने हवाई परिवहन का लोकतांत्रीकरण कर दिया है, जिससे लोगों के यात्रा करने के तरीके में बदलाव आ रहा है। 2016 में देश के कुल हवाई यातायात के 65 प्रतिशत हिस्से का संचालन शीर्ष छह हवाई अड्डों से हो रहा था।

उड्डयन के क्षेत्र में विकास, जो सिर्फ  महानगरों से जुड़े मागरे पर केंद्रित था, अब सुधार की प्रक्रिया में है। ‘उड़ान’ के कार्यान्वयन के बाद से महानगरों के अलावा दूसरे शहरों में स्थित हवाईअड्डों की वृद्धिशील घरेलू यात्री हिस्सेदारी में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एयरलाइंस कंपनियां उभरते हवाई अड्डों की ओर रु ख कर रही हैं, जहां पर एक साल में ही यात्रियों की आवाजाही 5 लाख के आंकड़े को छू रही है। बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों के यात्रियों को आकर्षित करने की संभावना के साथ बिहार में दरभंगा, ओडिशा में झारसुगुडा, मेघालय में शिलांग, राजस्थान में किशनगढ़, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर, कर्नाटक में हुबली उड्डयन क्षेत्र के महानगरों से इतर उड़ान की सफलता के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

इससे शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के बीच की असमानता की खाई को पाटने में मदद मिली है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में उल्लेख किया है कि ‘उड़ान’ योजना ‘समावेशिता के जरिए विकास’ के ढांचे में अच्छी तरह से फिट बैठती है। ‘उड़ान’ योजना सभी हितधारकों को शामिल करने का अनूठा सहयोगी मॉडल है। भले ही यह योजना भारत सरकार द्वारा प्रशासित है, लेकिन राज्य सरकारों, एयरलाइंस और हवाईअड्डों की इसमें सक्रिय भागीदारी है। एयरलाइंस और हवाईअड्डों को मौद्रिक और गैर-मौद्रिक प्रोत्साहन के जरिए इन हितधारकों द्वारा संसाधनों का मिलकर उपयोग किया जा रहा है। भारत सरकार ने बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के लिए नीतिगत एवं बजटीय सहायता प्रदान की है। राज्य सरकारें वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) में अपना अंशदान करती हैं, और हवाईअड्डों पर सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं नि:शुल्क प्रदान करती हैं।

पहले राज्य सरकारें इसमें सक्रिय भागीदार नहीं थीं। ‘उड़ान’ ऐसी योजना है, जिसमें भाग लेने के लिए अब तक 30 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने भारत सरकार के साथ सक्रिय रूप से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सही मायने में ‘सहयोगी संघवाद’ की भावना को प्रदर्शित करता है। ‘उड़ान’ योजना के लिए उद्योग जगत की ओर से योगदान की बात दूर की कौड़ी लगती है, लेकिन एयरलाइंस कंपनियां स्वेच्छा से इस योजना के लिए शुल्क (लेवी) के रूप में योगदान करती हैं, और सरकारी प्रोत्साहनों की तुलना में मिलने वाले व्यावसायिक लाभों से आगे जाकर हवाई सेवाओं की शुरूआत के लिये तत्पर हैं। हवाईअड्डे हवाई सेवाओं को किफायती बनाने के लिए कुछ शुल्कों में छूट देकर एयरलाइन कंपनियों की परिचालन लागत कम करने में मददगार बन रहे हैं। उड्डयन के इकोसिस्टम से जुड़े अन्य भागीदार इस नये मॉडल के साथ तालमेल बिठा रहे हैं, और महानगरों पर केंद्रित मॉडल से परे जाकर सोच रहे हैं। इस प्रकार, ‘उड़ान’ योजना का सार-तत्व ‘उड्डयन क्षेत्र का, उड्डयन क्षेत्र द्वारा, उड्डयन क्षेत्र के लिए’ है।

‘उड़ान’ योजना की सफल यात्रा का प्रमाण यह भी है कि इसके कार्यान्वयन के क्रम में विभिन्न हितधारकों के बीच आज तक कोई मुकदमेबाजी नहीं देखी गई है। ‘उड़ान’ योजना ने समय-समय पर सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए व्यावहारिक और लचीला मॉडल भी तैयार किया है। कोविड-19 के दौरान ‘लाइफलाइन उड़ान’ ने एयरलाइंस कंपनियों को बिना समय गंवाए और केंद्र एवं राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों की अपेक्षाओं के अनुरूप मेडिकल कार्गो के परिवहन में भाग लेने की अनुमति दी। मंत्रालय ने हाल ही में इसी तरह के ढांचे के तहत कृषि उड़ान योजना तैयार की है ताकि जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए संभावित हवाई अड्डों पर कार्गो से जुड़े लॉजिस्टिक्स को बेहतर किया जा सके।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो सरकार की एक्ट-ईस्ट नीति को बढ़ावा देते हुए ‘अंतरराष्ट्रीय उड़ान’ के तहत जल्द ही कुछ उत्तर-पूर्वी हवाईअड्डों को अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से जोड़ा जाएगा। उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों को लगातार बेहतर बनाना और उन्हें अपनाना ही ‘उड़ान’ नीति की ताकत है। कुछ साल पहले तक उड्डयन के क्षेत्र में समावेशी विकास की बात सिरे से बेतुकी-सी लगती थी। लेकिन ‘उड़ान’ योजना उड्डयन क्षेत्र के लिए नया दृष्टिकोण लेकर आई है, और क्षेत्रीय विकास को मुख्यधारा में लाने का साधन बन गई है। नये भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ‘उड़ान’ योजना को अब तक अछूते क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक संपर्क पर ध्यान केंद्रित करते हुए खुद को लगातार नये सिरे से गढ़ने की जरूरत है। पिछले पांच वर्षो के दौरान ‘उड़ान’ की ऊंचाई की ओर बढ़ती यात्रा ने समावेशिता, सहयोग, अनुकूलन क्षमता एवं लचीलापन के बारे में बहुमूल्य सबक प्रदान किए हैं। ये मार्गदशर्क सिद्धांत ‘उड़ान’ योजना के समापन वर्ष 2026 तक इस अनूठी योजना की भविष्य की यात्रा को परिभाषित करेंगे।
(लेखिका केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं)

ऊषा पाधी


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