रोजगार : रोबोट से है बड़ा खतरा

Last Updated 09 Sep 2020 12:28:47 AM IST

यदि हम भारत में रोबोट तैनाती का परिदृश्य देखें तो पाते हैं कि देश में वाहन उद्योग में रोबोटों की संख्या सबसे अधिक है।


रोजगार : रोबोट से है बड़ा खतरा

रोबोट की तैनाती का वाहन उद्योग में रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहा है। जैसे-जैसे दुनिया में रोबोट बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे भारत सहित दुनिया के अधिक जनसंख्या वाले विकासशील देशों में रोजगार की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
दुनिया की अर्थव्यवस्था में रोबोट की अहमियत कितनी बढ़ गई है, इसका अंदाज अमेरिका के बोस्टन कंसल्टीन ग्रुप की रिपोर्ट 2019 से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार रोबोट का वैश्विक बाजार छलांगे लगाकर बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2010 में दुनिया में रोबोट का बाजार करीब 15 अरब डॉलर मूल्य का था। यह 2020 में करीब 43 अरब डॉलर का हो गया है और अनुमान है कि 2025 तक 67 अरब डॉलर का हो जाएगा। इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा कार्यरत रोबोट जिन देशों के पास है, उनमें चीन, जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया तथा जर्मनी प्रमुख हैं। दुनिया में विभिन्न प्रकार के रोबोटों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सामान्यतया रोबोट दो तरह के होते हैं-इंडस्ट्रीयल रोबोट और सर्विस रोबोट इंडस्ट्रीयल रोबोट औद्योगिक एवं कारोबार इकाइयों में काम करते हैं, जबकि सर्विस रोबोट सर्विस से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं।

सर्विस रोबोट के तहत प्रोफेशनल्स रोबोट, डोमेस्टिक सर्विस रोबोट, इंटरटेनमेंट रोबोट शामिल होते है। दुनिया में रोबोटों की बढ़ती हुई संख्या के मद्देनजर प्रसिद्ध र्वल्ड रोबोटिक्स 2019 की एक्जीक्यूटिव समरी महत्त्वपूर्ण है। इसके अनुसार दुनिया में आपरेशनल स्टॉक में याने कार्यरत इंडस्ट्रीयल रोबोट की संख्या जो 2018 में करीब 24 लाख थी, यह 2022 में बढ़कर करीब 40 लाख होने का अनुमान है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इंडस्ट्रीयल रोबोट चीन में सर्वाधिक हैं। वर्ष 2018 में चीन में करीब 6.5 लाख इंडस्ट्रीयल रोबोट का स्टॉक था। चीन में प्रत्येक 10,000 कर्मचारियों पर 732 रोबोट काम कर रहे हैं। हमारे देश में रोबोटों की संख्या के मद्देनजर इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स 2019 की रिपोर्ट उल्लेखनीय है। इसके मुताबिक भारत में 2018 में करीब 23 हजार इंडस्ट्रीयल रोबोट कार्यरत थे। पूरी दुनिया में इंडस्ट्रीयल रोबोट्स के मामले में भारत 11वें स्थान पर है। भारत में वर्ष 2018 में करीब 4771 नये इंडस्ट्रीयल रोबोट लगाए गए थे। यह संख्या 2020 के अंत तक छह हजार होने की संभावना बताई गई है। भारत में औद्योगिक सेक्टर में हर 10,000 कर्मचारियों पर चार रोबोट काम कर रहे हैं। यदि हम भारत में रोबोट तैनाती का परिदृश्य देखें तो पाते हैं कि देश में वाहन उद्योग में रोबोटों की संख्या सबसे अधिक है। रोबोट की तैनाती का वाहन उद्योग में रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहा है। निश्चित रूप से कोविड-19 के बाद दुनिया में उपभोक्ताओं की प्राथमिकता में रोबोट की अहमियत और बढ़ेंगी।
जहां एक ओर रोबोट वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हो जाएंगे और जिन देशों में कार्यशील युवाओं की कमी है उन देशों में रोबोट अत्यधिक लाभप्रद होंगे, लेकिन वहीं दूसरी ओर जिन देशों में आबादी अधिक है और कार्यशील युवाओं की अधिकता है, उन देशों में रोबोट के बढ़ने से रोजगार व नौकरियां जाने की चिंताएं बढ़ेंगी। निसंदेह रोबोट से नौकरियां खोने का चिंताजनक परिदृश्य भारत में अधिक दिखाई देगा। विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रोजगार रहित विकास नामक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में तेजी से रोजगार के दरवाजे पर दस्तक देने वाले युवाओं की संख्या को देखते हुए हर साल करीब 81 लाख नई नौकरियां और नए रोजगार अवसर पैदा करने की जरूरत है। ऐसे में इतने रोजगार के अवसर और नौकरियां जुटाने के लिए भारत को 18 फीसद विकास दर की जरूरत होगी। ऐसे में छलांगे लगाकर बढ़ रही नौकरियों की जरूरतों के बीच देश में रोबोटों की तैनाती चुनौतीपूर्ण होगी। हाल ही में 26 अगस्त को मैकिंसी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) ने ‘इंडियाज टर्निंग प्वाइंट-एन इकोनॉमिक एजेंडा टु स्पर ग्रोथ ऐंड जॉब’ नाम से जारी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2029-30 तक गैर कृषि नौकरियों की तलाश में 9 करोड़ अतिरिक्त लोग निकलेंगे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद 2029-30 तक हर साल 1.2 करोड़ गैर कृषि नौकरियों की सालाना जरूरत होगी, जबकि वर्ष 2012 और 2018 के बीच हर साल महज 40 लाख नौकरियों का ही सृजन हो सका है। ऐसे में जहां बड़े पैमाने पर नई नौकरियां सृजित की जाना होगी वहीं देश में बढ़ते हुए रोबोट व ऑटोमेशन मशीनों के चलते नौकरियों में कमी आने की भी बड़ी चुनौती होगी। देश में रोबोट के बढ़ने से डाटा एंट्री क्लर्क, फैक्टरी मजदूर, बिजनेस सर्विस एंड एडमिनिस्ट्रेशन मैनेजर, अकाउंटेंट, जनरल ऑपरेशन मैनेजर, स्टॉक कीपिंग क्लर्क, डाक सेवा क्लर्क, वित्तीय समीक्षक, कैशियर व टिकट क्लर्क, मैकेनिक, बिजली व टेलीकॉम रिपेयर सेवा, बैंक क्लर्क, कार, वैन और मोटरसाइकिल चालक, एजेंट व ब्रोकर, घर-घर सामान बेचने का काम, वकील, बीमा क्लर्क और वेंडर सर्विस जैसे सेक्टर में नौकरियां कम होंगी, लेकिन हमें रोबोटिक्स की बढ़ती हुई वैश्विक उपयोगिता के बीच देश की विकास नीति में रोबोट की भूमिका पर भी विशेष विचार मंथन अवश्य करना होगा। चूंकि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की प्रतिस्पर्धा वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से है। अतएव जब दुनिया रोबोट के इस्तेमाल की ओर बढ़ रही है तो देश के मैन्युफैक्चरर उससे बहुत दूरी बनाकर नहीं रह सकते हैं।
आईटी जैसे क्षेत्रों में भी रोबोट के महत्त्व से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में रोबोट की उपयोगिता और देश में रोजगार की राह देख रही नई पीढ़ी की आकांक्षाओं के बीच उपयुक्त तालमेल करते हुए देश में रोबोटों की उपयुक्त संख्या में तैनाती का निर्धारण किया जाना होगा।  ऐसे में जहां एक ओर देश में जरूरी क्षेत्रों में उपयुक्त संख्या में रोबोट का उपयोग किया जाए, वहीं दूसरी ओर सरकार के द्वारा रोबोट से बढ़ती रोजगार चिंताओं पर ध्यान देते हुए देश की नई पीढ़ी को रोबोट जैसी आर्टििफशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उच्च कौशल से प्रशिक्षित करने की नई रणनीति बनाई जाए।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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