अशोभन आरोप-प्रत्यारोप
सवाल के बदले पैसे लेने के आरोपों से घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने आचार समिति के अध्यक्ष पर अनैतिक सवाल पूछने का आरोप लगाया।
अशोभन आरोप-प्रत्यारोप |
लोक सभा आचार समितकि के अध्यक्ष विनोद सोनकर पर अप्रिय व निजी सवाल पूछने का आरोप सिर्फ मोइत्रा ने ही नहीं लगाया बल्कि समिति में शामिल विपक्षी दलों के सदस्य भी नाराजगी में बाहर आ गए। बसपा सांसद दानिश अली ने टीएमसी की इस सांसद का समिति द्वारा चरित्र हनन करने की बात की। अशोभनीय, अनैतिक व पूर्वाग्रहों से भरे सवालों की शिकायत मोइत्रा ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से लिख कर की है, जिसमें इसे वस्त्रहरण बताया है।
वहीं सोनकर ने भी उन पर पलट कर आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल की आरोप जड़ा। विवादों से घिरी रहने वाली मोइत्रा पर करोबारी दर्शन हीरानंदानी के इशारों पर संसद में अडानी समूह के खिलाफ सवाल पूछे जाने के आरोपों पर यह जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि ये सवाल हलफनामे में शामिल हैं। मोइत्रा की विदेश यात्राओं, होटलों में रुकने व बिल चुकाने संबंधित थे। आरोपी व मुंसिफ ही अगर इस तरह सार्वजनिक तौर पर परस्पर कीचड़ उछालेंगे तो संसद की गरिमा को ठेस लगेगी।
यह बहुत गंभीर मसला है। यह बहुत गंभीर मसला है। इस पर लोक सभा अध्यक्ष समेत प्रधानमंत्री को कड़ा कदम उठाना चाहिए। मोइत्रा कैसी भी हों, वह सम्मानित संसद सदस्य हैं, साथ ही स्त्री होने के नाते उनकी गरिमा का विशेष ख्याल रखना सबकी जिम्मेदारी है। तब भी, जबकि उन पर अशोभनीय भाषा के प्रयोग का आरोप पूर्व में भी लगता रहा है। बल्कि कुछ वायरल वीडियोज में वे भद्दी गालियां देती रिकॉर्ड भी की जा चुकी हैं।
मगर स्त्री की निजता, उसके रिश्तों को लेकर चरित्रहनन करने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। निर्लज्ज व चरित्रहीनता के आरोपों से पुरुष सांसद भी अछूते नहीं रहे हैं। यह सच है कि स्त्री पर लगे आरोपों का छिद्रान्वेषण करने में पूर्वाग्रही सोच वालों को विशेष रुचि नजर आती है।
मर्यादा का उल्लंघन किसी भी पक्ष द्वारा किया जाना कतई अनुचित है। इसकी तह तक जाने की बजाए अभद्रता का यह प्रदर्शन उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह सिर्फ किसी का व्यक्तिगत मसला नहीं है। बल्कि देश की गरिमा व शुचिता तक पहुंचता है। इसलिए तत्काल इसका हल निकाला जाए और भविष्य में ऐसी किसी भी चूक से बचने के मार्ग भी खोजें जाएं।
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