खटास पड़ेगा भारी

Last Updated 04 Nov 2023 01:53:15 PM IST

विपक्षी गठबंधन इंडिया (India Alliance) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शुरुआत से इस गठबंधन में खास भूमिका अदा करते आए नीतीश कुमार ने पिछले ही दिनों सीपीआइ के एक आयोजन में जो टिप्पणी की है, वह उनके असंतोष को ही दिखाती है।


खटास पड़ेगा भारी

यह असंतोष शायद ही सिर्फ नीतीश कुमार तक सीमित हो। असंतोष शायद ही सिर्फ इसी तक सीमित हो कि संयुक्त रैलियों से लेकर सीटों के तालमेल तक के लिए, मोटे तौर पर जो समय सूची सोची गई थी, उससे गठबंधन काफी पीछे चल रहा है। नीतीश कुमार ने इसके लिए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी, कांग्रेस को जिम्मेदार माना है। इंडिया में असंतोष का एक कारण और भी लगता है। इसका संबंध विधानसभा चुनाव के मौजूदा चक्र में, इंडिया गठबंधन के घटकों के बीच कोई वास्तविक तालमेल नहीं हो पाने से भी है।

हालांकि इसकी सफाई यह कहकर दी गई है कि इंडिया गठबंधन में सीटों पर तालमेल मुख्यत: अगले आम चुनाव के लिए होना था, फिर भी गठबंधन के घटक दलों के बीच इसे लेकर थोड़ी-बहुत कटुता जरूर पैदा हुई है। चुनाव के मौजूदा चक्र में चूंकि कांग्रेस ही गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, उससे कुछ नाराजगियां भी सामने आई हैं। इन सब के बावजूद प्रतिद्वंद्वी एनडीए और उसकी नेता भाजपा, इंडिया की चुनौती के कमजोर पड़ता मानकर कोई राहत शायद ही ले सकते हैं।

उल्टे विधानसभाई चुनाव के वर्तमान चक्र में और खासतौर पर तीन हिंदी भाषी राज्यों में इंडिया उन्हें बराबर की टक्कर देता नजर आ रहा है और इस चक्र के इकलौते दक्षिणी तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में एनडीए मुख्य मुकाबले से भी बाहर ही नजर आता है। इस सूरत में आम चुनाव की ओर बढ़ते हुए इंडिया के हौसले और बढ़ाने का ही काम करेगा।

मौजूदा विधानसभा चुनावों के इस महत्त्व को चूंकि इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां वैसे ही बखूबी समझती हैं, जैसे कि आम चुनाव के लिए अपने एकजुट होने की जरूरत को, इसलिए उनके बीच की आपसी खींच-तान में बहुत ज्यादा अर्थ नहीं खोजा जाना चाहिए। यह गठबंधन बहुत ही विविधतापूर्ण है और इसलिए उसमें परफैक्ट एकता की उम्मीद बेमानी है, लेकिन उसकी यह विविधता उसकी ताकत भी साबित हो सकती है। मगर तभी, जब संभल-संभलकर, सब को साथ लेकर चला जाए।



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