देश-हित में नहीं तुष्टीकरण

Last Updated 02 Nov 2023 01:54:21 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले कई दशकों की गवाही पर देश की विकास यात्रा में तुष्टीकरण की राजनीति को सबसे बड़ी रुकावट माना है।


देश-हित में नहीं तुष्टीकरण

उनका यह भी कहना है कि इसकी राजनीति करने वालों को आतंकवाद और उसकी भयावहता कभी दिखाई नहीं देती। ये मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में भी हिचकिचाते नहीं हैं। नर्मदा के केवड़िया में सरदार पटेल की जयंती पर एक समारोह में प्रधानमंत्री ने हालांकि किसी राजनीतिक दल का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा कांग्रेस पार्टी की तरफ ही रहा होगा।

इसलिए कि भाजपा या आरएसएस का कोई नेता जब कभी तुष्टीकरण की बात करता है तो उसका अर्थ मुस्लिम तुष्टीकरण होता है और यह कांग्रेस पार्टी से संबद्ध माना जाता है। जनसंघ और अब भाजपा का मानना रहा है कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण करती रही है। इसलिए उसके शासन काल में देश पिछड़ता चला गया। भाजपा के एक विचारक दीनदयाल उपाध्याय का विश्वास था कि ‘मुसलमानों को न तो पुरस्कृत करो और न तिरस्कृत करो बल्कि उन्हें परिष्कृत करो।’

भाजपा और आरएसएस के सभी नेता इसी लाइन को ही आगे बढ़ाते रहे हैं। कहा जा सकता है कि भाजपा के नेता मुस्लिम तुष्टीकरण के सवाल पर कांग्रेस को ही घेरते रहे हैं। यही वजह है कि आजादी के बाद से मुस्लिम तुष्टीकरण का मुद्दा भारतीय राजनीति पर छाया रहा है। हालांकि राजनीतिक-सामाजिक विद्वानों ने अभी तक तुष्टीकरण या मुस्लिम तुष्टीकरण की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी है, लेकिन भारतीय संदर्भ में इसका अर्थ मुसलमानों के वोट लेने के लिए उन्हें विशेष सुविधा और सहुलियतें प्रदान करना है।

भाजपा आरोप लगाती रहती है कि शाहबानो-प्रकरण में राजीव गांधी की सरकार ने मुसलमानों को खुश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। भाजपा संविधान के अनुच्छेद 370 को मुसलमानों के पक्ष में मानती थी।

इसलिए उसने हज की सब्सिडी समाप्त कर, तीन तलाक को दंडनीय अपराध बना कर और 370 को निरस्त कर देश में एक संदेश देने की कोशिश की है कि वह तुष्टिकरण नहीं बल्कि ‘सबका साथ सबका विश्वास’ की नीति पर विश्वास करती है। संवैधानिक तौर पर भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। इस दृष्टि से धर्म, पंथ और मजहब के आधार पर किसी को सहुलियतें नहीं दी जानी चाहिए। वास्तव में तुष्टीकरण की नीति से देश के दूसरे समुदायों में नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है। इसलिए तुष्टीकरण की नीति देश-हित में नहीं है।



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