गूगल मैप पर संभल कर
केरल के कोच्चि के दो डॉक्टरों की मौत पेरियार नदी में कार गिरने से हो गई। पुलिस के अनुसार कथित तौर पर वे गूगल मैप के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए यात्रा कर रहे थे, जिसके बाद केरल पुलिस ने मानसून के दौरान संबंधित प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं।
गूगल मैप पर संभल कर |
वाकई यह घटना हैरान करने वाली है। 29 साल के अजमल व अद्वैत तीन अन्य साथियों के साथ यात्रा कर रहे थे। उस दरम्यान बहुत तेज बरसात हो रही थी। बताया गया इसके कारण दृश्यता बहुत कम थी। पुलिस ने माना कि मानसून के चलते मागरे को बदल दिया जाता है, जिसकी जानकारी मैप को नहीं रही होगी।
पुलिस ने फेसबुक पोस्ट किया कि मैप देख कर अपरचित मागरे में जाना, खासकर मानसून के दौरान, कभी-कभी खतरनाक होसकता है। तेज बारिश या मौसम खराब होने पर अकसर जीपीएस सिग्नल गायब हो जाता है। इसलिए पुलिस ने सुझाव दिया है कि यात्री संदर्भ के लिए मानचित्रों को जरूर साथ रखें।
नि:संदेह पुलिस का सुझाव सार्थक है, परंतु उनका सीधा गूगल मैप को दोषी करार देना बेहद बचकाना साबित हो रहा है। व्यावहारिक तौर पर यातायात मागरे को तब्दील करके पुलिस निजी व सार्वजनिक वाहनों के यात्रियों के लिए व्यवधान ही पैदा करती है। बिना किसी पूर्व सूचना के अकसर किसी भी व्यस्त सड़क को नियमित तौर पर पूरे देश में ही बाधित किया जाता है।
इसके लिए मात्र किसी तकनीकी मानचित्र को पूर्ण रूप से दोषी ठहराना अपनी जिम्मेदारी से भी बचना है। वाहन चालकों को स्वयं भी यह फर्ज निभाना चाहिए। साथ ही यातायात निरीक्षकों व व्यवस्था को भी विशेष चौकसी बरतने की आदतें अपनानी जरूरी हैं। दूसरे, युवाओं में रफ्तार के प्रति जोश व जुनून बढ़ता ही जा रहा है।
वे यातायात नियमों के विरुद्ध जाकर मौज-मस्ती के लिए वाहनों को दौड़ाने से बाज नहीं आते। तेज बरसात या खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लोभ में वे वाहनों को तेजी से दौड़ाते अकसर सड़कों पर नजर आते हैं।
नतीजतन ढेरों दुर्घटनाएं हर रोज होती हैं, जिसमें मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की ही होती है। जिंदगी बेशकीमती है, यह हर शख्स को मालूम है। मशीनों या तकनीक को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा कर खुद को बचना बेहद असंवेदनशील सोच है।
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