विदेशियों की उथली राय
दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलनों को लेकर पॉप सिंगर रिहाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी जैसी कुछ विदेशी चर्चित हस्तियों ने चिंता जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जो मौजूदा भारत सरकार को कठघरे में खड़ा करती है।
विदेशियों की उथली राय |
रिहाना ने एक लेख ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा कि इसके बारे में हम बात क्यों नहीं कर रहे हैं? ग्रेटा थनबर्ग ने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन किया।
इन विदेशी प्रतिक्रियाओं की भारत में बहुत तीखी प्रतिक्रिया हुई। विदेश मंत्रालय को इसका जवाब देने के लिए सामने आना पड़ा। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि विवादित मुद्दे में कूदने से पहले उसका सच जानने की कोशिश करनी चाहिए। दूसरी ओर सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, अक्षय कुमार, अजय देवगन, लता मंगेशकर और कंगना रनौत जैसी खेल और बॉलीवुड की हस्तियों ने करारा जवाब दिया। सबसे पहली बात तो यह है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और जिसमें इन विदेशियों को अपनी टांग घुसेड़ने का कोई अधिकार नहीं है।
सरकार विरोधी विपक्ष भी यही राय रखता है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और विदेशी लोकप्रिय व्यक्तियों को अनावश्यक दखल नहीं देनी चाहिए, लेकिन इस समूचे प्रसंग में सर्वाधिक दुखद पहलू यह है कि इन विदेशी लोगों को भारत की परिस्थितियों की कोई जानकारी नहीं है। जहां तक किसान आंदोलन का संबंध है, उसके बारे में इनको कुछ पता नहीं है। इन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कृषि विशेषज्ञों का एक बहुत बड़ा वर्ग इन कानूनों के साथ है। इन विशेषज्ञों के पास कृषि सुधारों का समर्थन करने के ठोस तर्क भी हैं।
इन कानूनों का विरोध या तो सरकार विरोधी विपक्षी दल कर रहे हैं जो हर बात में सरकार का विरोध करते हैं और दूसरे इसे किसानों का एक जाति विशेष का संपन्न वर्ग किसान ही संचालित कर रहे हैं, जिनको अपनी स्थापित आय के स्रोतों को कमजोर पड़ने की आशंका है। विदेशी लोग इस तथ्य को और आंदोलन की जटिलताओं को समझने में इसलिए असमर्थ हैं कि वे मोदी सरकार विरोधी तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर डाली गई जानकारियों के आधार पर ही अपनी राय बनाते हैं। भारत सरकार को ही नहीं बल्कि भारतीय राज्य को इस तरह की प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर देना चाहिए या फिर इनका कठोरतम जवाब देना चाहिए।
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