UP 69 हजार शिक्षक भर्ती मामला: मायावती और अखिलेश यादव ने BJP सरकार को घेरा, हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत

Last Updated 17 Aug 2024 01:50:11 PM IST

उत्तर प्रदेश की 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया। 2019 की चयन सूची को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को शिक्षक भर्ती 2019 चयन सूची को दोबारा बनाने का आदेश दिया है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर राजनीति तेज हो गई है और विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

मायावती ने कहा कि सरकार ने अपना काम निष्पक्ष व ईमानदारी से नहीं किया।

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।

उन्होंने कहा, वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। यह अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं।

ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।
 

आईएएनएस
लखनऊ


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