बांग्लादेश के साथ संबंधों में कसैलापन
बांग्लादेश में शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट जारी है। ताजा मसला सीमा पर तारबंदी को लेकर उपजा है।
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बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने रविवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को जिस वजह से तलब किया, वह इस छोटे से मुल्क की भारत के प्रति कटुता को जाहिर करने के लिए काफी है। आरोप लगाया गया कि भारत द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा पर पांच स्थानों पर तारबंदी की कोशिश कर रहा है। दरअसल, बांग्लादेश हमेशा से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की कार्रवाई का विरोधी रहा है।
हमेशा से सीमा पर बीएसएफ की बीजीबी (बार्डर गार्ड बांग्लादेश) से भिड़ंत होती रही है। कई बार बांग्लादेशी नागरिक अवैध तरीके से सीमा पार कर भारत घुसने की कोशिश करते हैं।
स्वाभाविक है, बीएसएफ उन लोगों को रोकने की कोशिश करती है और न मानने पर उन्हें मार गिराती है। बांग्लादेश के हुक्मरान को इसी बात से चिढ़ है। वैसे भी मोहम्मद युनूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने के बाद से जिस तरह पड़ोसी देश भारत के प्रति आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है, वह वाकई बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है।
शेख हसीना सरकार के हटने के बाद से जिस तरह वहां हिन्दू समुदाय के साथ लोमहषर्क घटना को अंजाम दिया गया, वह तथ्य की पुष्टि करने के लिए काफी है कि अब बांग्लादेश किसी और देश द्वारा निर्देशित हो रहा है। वहां वर्षो से रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ अब तक का सबसे बुरा व्यवहार हुआ है। कई लोग मारे गए, कइयों से लूटपाट की गई और सबकुछ छीन लिया गया।
यह सब कुकर्म उस देश में और उस समुदाय के साथ किया गया जिसने इस देश को बनाने के लिए हर तरह की कुर्बानियां दीं। इस बात में शक नहीं कि पाकिस्तान और चीन के बाद बांग्लादेश ही ऐसा पड़ोसी है, जिसने भारत को चोट पहुंचाई। लिहाजा, भारत को अब नये सिरे से इस बारे में मंथन करने की दरकार है। भारत जानता है कि सीमा पर गड़बड़ी को नजरअंदाज करना उसके लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। इसलिए उस मोर्चे पर सख्ती जरूरी है।
बांग्लादेश छोटी सी बात का बतंगड़ बनाकर माहौल को खराब करने की साजिश में जुटा है। भारत भी इस बात को समझता है। इसलिए वह भी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहा है। बहरहाल, ज्यादा नरमी से पेश आने के कारण ही बांग्लादेश का निजाम बदमिजाजी पर आतुर है। चुनांचे, भारत को अपने हित के लिए अंगुली टेढ़ी करनी चाहिए।
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