उपलब्धि : सशक्त होगी हमारी ‘ब्लू वाटर नेवी’

Last Updated 14 Jan 2025 01:27:02 PM IST

हिन्द महासागर में चालाक चीन की चुनौती का जवाब देने और शक्तिशाली ‘ब्लू वाटर नेवी’ बनने की दिशा में भारतीय नौसेना न केवल आत्मनिर्भरता के साथ आधुनिकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, बल्कि जलयानों की संख्या में भारी वृद्धि करने का निर्णय लिया है।


यही कारण कि आज (15 जनवरी) को अग्रिम पंक्ति के दो अत्याधुनिक युद्धपोत नीलगिरि और सूरत के साथ ही वाग्शीर नामक एक सशक्त पनडुब्बी नौ सेना के बाड़े में शामिल हो रही है। भारतीय नौ सेना के इतिहास में पहली बार एक साथ दो युद्धपोत एवं एक पनडुब्बी को साथ शामिल किया जा रहा है। उनके शामिल हो जाने से भारतीय नौ सेना की परिचालन क्षमता एवं युद्ध तत्परता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

नीलगिरि प्रोजेक्ट, 17 ए. स्टील्थ फ्रिगेट का पहला युद्धक जलयान है जो, सेवा में सक्रिय शिवालिक श्रेणी 1 प्रोजेक्ट 17 स्टील्थ फ्रिगेट का पहला जलयान है, जो सेवा में सक्रिय शिवालिक श्रेणी (प्रोजेक्ट 17) फ्रिगेट का अनुवर्ती है। नीलगिरि एम डी एल, मुम्बई और जीआरएस ई, कोलकाता द्वारा निर्माणाधीन सात पी 17 ए फ्रिगेट्स में पहला है। ये बहुउद्देशीयीय युद्धपोत भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारम्परिक तथा गैरपारम्परिक दोनों प्रकार के संकट से निपटने के लिए ‘गहरे समुद्री’ वातावरण में कार्य करने में सक्षम है।

नवीनतम तकनीकी से युक्त इन जलयानों का निर्माण भी ‘एकीकृत निर्माण’ दर्शन का उपयोग करके किया गया है। यह जलयान संयुक्त रूप से डीजल या गैस (सीओडीओजी) मेन प्रोपल्शन द्वारा संचालित होता है। इसमें सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी. उन्नत तोप और तीव्रगति प्रहारक नजदीकी हथियार पण्रालियों से सुसज्जित है। आत्मनिर्भरता के साथ राष्ट्र निर्माण को विशेष रूप से दृष्टि में रखते हुए इस जलयान में 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है।

नीलगिरि के निर्माण कार्य की आधारशिला 28 दिसम्बर 2017 को रखी गई और निर्मित इस पोत को पहली बार 28 सितम्बर 2019 को समुद्र में उतारा गया। यह जलपोत 24 अगस्त को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना किया गया और तब से बंदरगाह व समुद्र में इसके व्यापक परीक्षण किए गए हैं। अब इसे भारतीय नौ सेना को सौंप दिया गया है। स्टील्थ तकनीक युक्त यह जलपोत कई प्रकार के हेलीकॉप्टर संचालित करने की क्षमता के साथ अत्याधुनिक हथियार और सेंसरयुक्त है।  ‘सूरत’ जलपोत गाइडेड मिसाइल युक्त विध्वंसक जंगी जलपोत भी भारतीय नौ सेना को मिलने जा रहा है। विशाखापट्टनम क्लास मिसाइल विध्वंसक जलयान के नौ सेना में शामिल होने से भारत की समुद्री शक्ति और अधिक बढ़ जाएगी, क्योंकि इसके साथ बराक और ब्रहमोस मिसाइलें लगी हुई हैं।

सूरत प्रोजेक्ट 15 की स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम जलपोत है, जो विगत तीन वर्षो में शामिल किए गए अपने पूर्ववर्ती भारतीय नौ सेना के जलयानों विशाखापट्टनम, मोरमुगाओ तथा इम्फाल के बाद आया है। यार्ड 12707 सूरत को भारतीय नौ सेना को सौंपा जाना, उस प्रतिष्ठित स्वदेशी विध्वसंक निर्माण परियोजना का समाधन है, जो प्रोजेक्ट 15 (तीन दिल्ली श्रेणी) के साथ शुरू हुई थी। यह 7400 टन भार विस्थापित करने वाला तथा 164 मीटर लम्बा व एक निर्देशित मिसाइल युक्त विध्वसंक श्रेणी का जलपोत है। नौ सेना के विवसंक पोत ‘सूरत’ में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जलयान रोधी मिसाइलों तथा तारपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों व सेंसरों से सुसज्जित है।

यह स्वदेशी रूप से विकसित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समाधान का उपयोग करने वाला भारतीय नौ सेना का पहला एआई सक्षम युद्धपोत होगा। यह जलपोत समुद्र के भीतर युद्ध करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित पनडुब्बी रोधी हथियारों और सेंसर से लैस है। वाग्शीर कलवरी क्लास प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत छठी स्कार्पीन क्लास पनडुब्बी दुनिया की सबसे शांत एवं बहुमुखी डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक है।

इसे एंटी सरफेस वारफेयर, एंटी सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, क्षेत्र की निगरानी और विशेष अभियानों सहित अनेक तरह के मिशन को अंजाम देने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। भारत की ब्लू वाटर नौसेना समुद्री मोच्रे पर शांति स्थापित करने में अपना अनवरत सक्रिय सहयोग देती रही है। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए भारतीय नौसेना को निरंतर सजग एवं सतर्क रहने की जरूरत है। स्वदेशीकरण और नवाचार के प्रति भारतीय नौसेना का दृष्टिकोण सकारात्मक सिद्ध हो रहा है। युद्धक पोत ‘नीलगिरि’, विध्वसंक पोत ‘सूरत’ और ‘पनडुब्बी वाग्शीर’ का संयुक्त कमीशन रक्षा आत्मनिर्भरता और स्वदेशी जलयान निर्माण में भारत की अद्वितीय प्रगति का ही प्रतीक है। हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक भारतीय नौसेना का तेजी के साथ नवीनीकरण हो रहा है।

डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्र


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