Farmers Protest: शंभू और खनौरी बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाए गए, किसानों ने की धरने की घोषणा
हरियाणा के सुरक्षा कर्मियों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाए जाने के बाद गुरूवार को सीमेंट के वे अवरोधक हटाने शुरू कर दिए जो पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए लगाए गए थे।
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शंभू और खनौरी बॉर्डर पर शंभू-अंबाला और संगरूर-जींद मार्गों से कंक्रीट के अवरोधकों को हटाने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनों की मदद ली जा रही है। ये मार्ग प्रदर्शनकारी किसानों के वहां डेरा डालने के बाद एक वर्ष से अधिक समय से अवरुद्ध हैं।
हरियाणा के सुरक्षा अधिकारियों ने पंजाब से लगी राज्य की सीमा पर सीमेंट के ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों की मदद से अवरोधक लगाए थे ताकि ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के तहत पंजाब से किसानों के राजधानी की ओर बढ़ने के हर प्रयास को विफल किया जा सके।
#WATCH | Tents set up by the protesting farmers, being removed at the Shambu border, and the road being cleared by Police. pic.twitter.com/prktjzqDJ5
— ANI (@ANI) March 20, 2025
पंजाब पुलिस ने भी मार्ग को खाली करने के लिए शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब की ओर स्थित शेष अस्थायी ढांचों को हटाने का अभियान बृहस्पतिवार को फिर शुरू कर दिया।
पटियाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नानक सिंह ने बताया कि शंभू बॉर्डर पर सड़क से सभी ट्रॉली और अर्ध-स्थायी ढांचे हटा दिए जाएंगे।
उन्होंने सड़क कुछ घंटों बाद यातायात के लिए खोले जाने की उम्मीद जताई।
एसएसपी ने कहा कि हरियाणा के अधिकारी भी सड़क खोलने के लिए समानांतर कदम उठा रहे हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (अंबाला रेंज) सिबाश कबिराज ने कहा कि हरियाणा की ओर के अवरोधक बृहस्पतिवार शाम तक हटा दिए जाएंगे और उसके बाद सड़क यातायात बहाल हो सकेगा।
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में बृहस्पतिवार को उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर धरना देने की घोषणा की।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दोनों निकायों ने बुधवार को प्रदर्शनकारियों को हटाने और किसान नेताओं को हिरासत में लेने के लिए पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आलोचना की।
पुलिस कार्रवाई की निंदा करने के लिए किसानों के एक समूह ने मुक्तसर जिले के गिद्दड़बाहा में विरोध प्रदर्शन किया और उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे एक अन्य समूह की मोगा जिले में पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई हुई। इस समूह में महिलाएं भी शामिल थीं।
पंजाब पुलिस ने बुधवार को सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को मोहाली में उस समय हिरासत में ले लिया जब वे चंडीगढ़ में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक करने के बाद लौट रहे थे।
चंडीगढ़ में दोनों पक्षों के बीच हुई सातवें दौर की वार्ता में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी किया।
चर्चा मुख्य रूप से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग पर केंद्रित रही।
बैठक के बाद किसान जैसे ही मोहाली में दाखिल हुए, उन्हें भारी अवरोधकों का सामना करना पड़ा।
पुलिस कार्रवाई को लेकर कुछ वर्गों की आलोचना का सामना कर रहे पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘आप’ सरकार राज्य में उद्योगों को आकर्षित करके युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
चीमा ने कहा, ‘‘शंभू और खनौरी बॉर्डर पर दो प्रमुख राजमार्गों के एक साल से अधिक समय से बंद होने के कारण पंजाब का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसानों को बताना चाहते हैं कि हम उनके साथ खड़े हैं। उनकी मांगें केंद्र से संबंधित हैं। आप (किसान) केंद्र के खिलाफ कोई भी प्रदर्शन करें, हम आपके साथ हैं लेकिन पंजाब को नष्ट न करें और राज्य के राजमार्गों को बंद न करें।’’
मंत्री ने यह भी कहा कि जब पंजाब नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, तो ऐसे समय में युवाओं को रोजगार प्रदान करना यह लड़ाई जीतने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में उद्योग आने पर ही रोजगार पैदा हो सकता है लेकिन शंभू और खनौरी बॉर्डर एक साल से भी अधिक समय से बंद हैं जिससे पंजाब को नुकसान हो रहा है।’’
चीमा ने कहा, ‘‘2003 में पंजाब ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक योगदान दिया था लेकिन आज पंजाब 19वें स्थान पर आ गया है क्योंकि राज्य में उद्योग नहीं आ रहे हैं।’’
किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने पुलिस कार्रवाई की बृहस्पतिवार को निंदा की और पंजाब सरकार पर केंद्र की मिलीभगत से प्रदर्शनकारी किसानों पर कार्रवाई करने का आरोप लगाया।
पन्नू ने कहा, ‘‘यह लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या थी। किसान दिल्ली जाना चाहते थे लेकिन हरियाणा सरकार ने केंद्र के इशारे पर सड़कों पर अवरोधक लगा दिए।’’
उन्होंने कहा कि शंभू और खनौरी बॉर्डर से जबरन धरना हटाने के लिए हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
पन्नू ने कहा, ‘‘भगवंत मान और केंद्र में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के नेतृत्व वाली सरकारों को इसके परिणाम भुगतने होंगे।’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा पंजाब और अन्य राज्यों में उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ धरना देंगे।
पन्नू ने कहा, ‘‘महिलाओं सहित हजारों किसान धरने में हिस्सा लेंगे। हम अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज करेंगे।’’
केएमएससी नेता सुखविंदर सिंह ने किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, ‘‘किसानों ने सड़कें नहीं रोकी। केंद्र ने रोकी। हम आज भी दिल्ली जाना चाहते हैं क्योंकि हमारी मांगें केंद्र से संबंधित हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने पुलिस कार्रवाई शुरू करके केंद्र की भाजपा सरकार के प्रति अपनी ‘वफादारी’ दिखाई है।’’
इस बीच, पिछले साल 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को जालंधर स्थित पंजाब आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया, बाद में उन्हें किसी अन्य स्थान पर ले जाया गया।
किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने बताया कि पंधेर और डल्लेवाल के साथ अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटरा और मंजीत सिंह राय को भी हिरासत में लिया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली कूच करने से रोके जाने पर पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जींद) बॉर्डर पर डेरा डाले हुए थे।
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