पूरी क्षमता से टीकाकरण क्यों नहीं?
दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह कोविड-19 का टीका पाने के लिए वर्गीकरण किए जाने के पीछे का कारण बताए। उसने कहा, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के पास अधिक मात्रा में टीका उपलब्ध कराने की क्षमता है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे इसका पूरा फायदा नहीं उठा रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट |
हम इसका पूरी तरह से उपयोग नहीं कर रहे हैं। हम या तो इसे अन्य देशों को दान कर रहे हैं या उन्हें बेच रहे हैं और अपने लोगों को टीका नहीं दे रहे हैं। अत: इस मामले में जिम्मेदारी और तात्कालिकता की भावना होनी चाहिए।
अदालत दिल्ली बार काउंसिल की एक याचिका पर सुनवाई कर रही था, जिसमें न्यायाधीशों, अदालत के कर्मियों और वकीलों समेत न्याय प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों को अग्रिम मोच्रे का कर्मी वर्गीकृत करने की मांग की गयी है ताकि उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण का लाभ मिल सके। उच्च न्यायालय ने सभी प्राधिकरण से नौ मार्च तक अपने हलफनामे दायर करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च के लिए सूचीबद्ध की।
सीरम इंस्टीट्यूट-भारत बायोटक से जवाब तलब : न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को कोरोना टीके की विनिर्माण क्षमता की जानकारी देने का भी निर्देश दिया। सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड टीके का विनिर्माण कर रही है, जबकि भारत बायोटेक कोवैक्सीन का विनिर्माण कर रही है।
अदालत ने दोनों संस्थानों को अलग-अलग हलफनामा दायर कर प्रतिदिन/सप्ताह/महीने के आधार पर अपनी उत्पादन क्षमता की जानकारी देने का निर्देश दिया। साथ ही कितनी क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है, उसकी भी जानकारी तलब की। अदालत ने कहा कि उन्हें यह भी बताना होगा कि क्या वह अपनी उत्पादन क्षमता में इजाफा कर सकते हैं?
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