PM मोदी-लक्सन बैठक : न्यूजीलैंड में खालिस्तानी और भारत विरोधी तत्वों का उठा मुद्दा

Last Updated 17 Mar 2025 06:54:18 PM IST

भारत ने सोमवार को न्यूजीलैंड के सामने उसकी धरती पर सक्रिय कट्टरपंथी और चरमपंथी खालिस्तानी समूहों का मुद्दा उठाया, जो देश में राजनयिकों और बड़े भारतीय समुदाय के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।


यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की उपस्थिति में हैदराबाद हाउस में दोनों पक्षों के बीच हुई चर्चा के दौरान उठा। लक्सन इस समय भारत दौरे पर हैं।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने द्विपक्षीय वार्ता के बाद मीडिया को बताया, "निश्चित रूप से, यह मुद्दा उठा। हम अपने मित्रों को उनके देशों में भारत विरोधी तत्वों की गतिविधियों और आतंकवाद को महिमामंडित करने, हमारे राजनयिकों, हमारी संसद या भारत में हमारे कार्यक्रमों पर हमले की धमकी देने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं के गलत इस्तेमाल के बारे में भी सचेत करते हैं। न्यूजीलैंड की सरकार ने अतीत में भी हमारी चिंताओं को ध्यान में रखा है। आज भी हमें यही प्रतिक्रिया मिली।"

भारत-न्यूजीलैंड संयुक्त वक्तव्य में दोनों प्रधानमंत्रियों की तरफ से बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताए जाने का उल्लेख किया गया।

इसमें कहा गया, "दोनों नेताओं ने न्यूजीलैंड में छात्रों सहित भारतीय समुदाय, भारत में न्यूजीलैंड के लोगों और भारत आने वाले आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर सहमति जताई।"

दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की 'पूर्ण निंदा' दोहराई।

बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने सभी देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल, निरंतर, और ठोस कार्रवाई करने की तत्काल जरुरत पर बल दिया।"

दोनों नेताओँ ने आतंकवाद के फंडिंग नेटवर्क, सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने, आतंकवाद के बुनियादी और ऑनलाइन ढांचे को नष्ट करने, आतंकवाद के अपराधियों को जल्द न्याय के कटघरे में लाने की अपील की।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय तंत्रों के माध्यम से आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।

प्रतिबंधित अमेरिका स्थित कट्टरपंथी खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित कई देशों में अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। यह एक तथाकथित 'जनमत संग्रह' आयोजित कर रहा है जिसमें एक स्वतंत्र सिख देश की मांग की जा रही है।

पिछले साल, एसएफजे ने न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड और उसके आसपास ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए थे।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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