Weather News : जुलाई महीने में अधिक बारिश होने के आसार

Last Updated 02 Jul 2024 09:54:25 AM IST

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी - IMD) ने सोमवार को कहा कि जुलाई में भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है तथा भारी वर्षा के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों और देश के मध्य भाग में नदी घाटियों में बाढ़ आने की आशंका है।


आईएमडी ने पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा का पूर्वानुमान जताया है।

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है जो लंबी अवधि के औसत (एलपीए - LPA) 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है। 

उन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।’ 

आईएमडी प्रमुख ने कहा कि सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान ‘निश्चितरूप से’ कुछ क्षेत्रों में बहुत भारी वर्षा की संभावना को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘विशेष रूप से, यदि  हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों तथा पश्चिमी हिमालय की तराई को देखें तो हम सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद कर रहे हैं।’

महापात्र ने कहा, ‘यह वह क्षेत्र है जहां बादल फटने, भारी वर्षा के कारण भूस्खलन, बाढ़ के रूप में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं।

कई नदियां भी यहीं से निकलती हैं। मध्य भारत में भी गोदावरी, महानदी और अन्य नदी घाटियों में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। इसलिए वहां बाढ़ की आशंका अधिक है।’ 

नेपाल स्थित अंतर-सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी- ICIMOD) के विशेषज्ञों ने भी बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान सहित हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र के देशों के लिए मानसून के दौरान मौसम की चरम घटनाओं की चेतावनी दी है। 

आईसीआईएमओडी में जलवायु सेवा के लिए कार्यक्रम समन्वयक मंदिरा श्रेष्ठ ने कहा, ‘पिछले वर्ष हिंदुकुश हिमालयी देशों के कई इलाकों में औसत से कम वर्षा हुई थी, इस तथ्य के बावजूद हिंदुकुश हिमालय के क्षेत्रों में समुदाय कई बार विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुए।’ 

उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में, इस वर्ष का मानसून पूर्वानुमान चिंताजनक है। यह समग्र तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति के भी विपरीत है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि यह बर्फ और हिमनदों के अधिक पिघलने के नुकसान से जुड़ा है।

बर्फ का पिघलना अक्सर विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का एक प्रमुख कारक होता है जिसे हम इस समय अपने क्षेत्र में देख रहे हैं।’ 

वर्ष 2023 में जुलाई और अगस्त में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तथा अक्टूबर में पूर्वी हिमालय में तीस्ता नदी में विनाशकारी बाढ़ आई थी। भारत में जून में सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई।

भाषा
नई दिल्ली


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