Demonetisation of 2000 note : 2000 की नोटबंदी पर कांग्रेस अध्यक्ष ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

Last Updated 20 May 2023 10:45:10 AM IST

रिजर्व बैंक द्वारा 2000 नोट बंद करने के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है।


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आपने पहली नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को एक गहरा ज़ख़्म दिया था, जिससे पूरा असंगठित क्षेत्र तबाह हो गया, MSME ठप्प हो गए और करोड़ों रोज़गार गए !

अब ₹2000 के नोट वाली "दूसरी नोटबंदी"... क्या ये ग़लत निर्णय के ऊपर पर्देदारी है?

उन्होंने कहा कि इस नोट बंदी के खिलाफ एक निष्पक्ष जाँच से ही कारनामों की सच्चाई सामने आएगी।

RBI के मुताबिक, दो हजार रुपये के तकरीबन 89% नोट मार्च 2017 से पहले ही जारी हो गए थे। ये नोट चार-पांच साल तक अस्तित्व में रहने की उनकी सीमा पार कर चुके हैं या पार करने वाले हैं।

फिलहाल, आरबीआई ने दो हजार के नोट वापस लेने का फैसला किया है। बैंक ने बताया है कि उसने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह बड़ा फैसला लिया है। हालांकि यह नोट फिलहाल वैध रहेंगे। आरबीआई ने यह भी बताया कि यह नोट 30 सितंबर तक बैंकों में वापस लिए जा सकेंगे। इसकी प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि सरकार ने 2016 में नोटबंदी के करीबन साढ़े छह साल बाद यह फैसला क्यों लिया है।

क्यों हुई नोटबंदी

1. जब 2000 के नोट छापे गए तब उद्देश्य अलग था : आरबीआई ने नवंबर 2016 में दो हजार रुपये के नोट जारी किए थे। इन्हें आरबीआई कानून 1934 की धारा 24(1) के तहत जारी किया गया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस समय चलन में मौजूद 500 और 1000 रुपये की जो करंसी नोटबंदी के तहत हटाई गई थी, उसके बाजार और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके। 

2. नोट अपनी सीमा पूरी कर चुके हैं : RBI के मुताबिक, दो हजार रुपये के तकरीबन 89% नोट मार्च 2017 से पहले ही जारी हो गए थे। ये नोट चार-पांच साल तक अस्तित्व में रहने की उनकी सीमा पार कर चुके हैं या पार करने वाले हैं।

3. चलन में मौजूद इन नोटों की संख्या अब काफी कम :31 मार्च 2018 को 6.73 लाख करोड़ रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे। यानी कुल नोटों में इनकी हिस्सेदारी 37.3% थी। 31 मार्च 2023 तो यह आंकड़ा घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया। यानी चलन में मौजूद कुल नोटों में दो हजार रुपये के नोटों की 10.8% हिस्सेदारी ही रह गई। 

4. उद्देश्य भी पूरा हो गया, 2018 से छपाई भी बंद : नोटबंदी के बाद दो हजार रुपये के नोट लाए गए थे। जब दूसरे मूल्य के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए, तब दो हजार रुपये को चलन में लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया। लिहाजा, 2018 में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई भी बंद कर दी गई। 

5. लेनदेन में भी काफी कम इस्तेमाल हो रहे : RBI के मुताबिक, दो हजार रुपये के नोट आमतौर पर लेनदेन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में भी नहीं आ रहे। इसके अलावा, अन्य मूल्य के नोट भी आम जनता के लिए चलन में पर्याप्त रूप से मौजूद हैं। लिहाजा, आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह फैसला लिया गया है कि दो हजार रुपये के नोटों को चलन से हटा लिया जाए।

सुरेन्द्र देशवाल
नई दिल्ली


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