चेतावनी है जरूरी
सरकार ने सबको बिना भेदभाव सुरक्षा, सम्मान, विकास और समृद्धि की गारंटी दी है। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्याधाम में दीपोत्सव का कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह कहा।
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सामाजिक एकता का मंत्र देते हुए जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर समाज को बांटने वालों पर प्रहार किया। बांटने वाले इन तत्वों में रावण और दुर्योधन का डीएनए काम कर रहा है। कहा ये कहीं ताड़का भेजेंगे, कहीं खर-दूषण, बहन-बेटियों की सुरक्षा को खतरा होगा व पर्व-त्योहारों के पहले दंगा भड़काएंगे। कहा कि जब भी दीपोत्सव होता है तो उसका प्रतिफल होता है, रामराज की स्थापना होती है। जब से दीपोत्सव शुरू हुआ है, सालो-साल इस दीपों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
मगर दीप प्रज्ज्वलन के फौरन बाद ढेरों निर्धन परिवार खाली बोतलों व बर्तनों में दीपों का तेल उढेलते नजर आते हैं। सोशल मीडिया में इसकी ढेरों तस्वीरें व क्लिप्स वायरल होते हैं जिन पर लोग सरकार पर तंज करते हैं। रामराज का मतलब केवल रावणों-दुर्योधनों से जनता को सुरक्षित रखना नहीं है। बहन-बेटी की इज्जत को लेकर मुख्यमंत्री की फिक्र जायज है मगर उप्र अपराधों के मामले देश भर में पहले दर्जे में ही है, यह हकीकत है। राज्य में इस वक्त नौ सीटों में उपचुनाव का माहौल है।
माना जा रहा है, इसी दबाव के चलते योगी विपक्ष पर लगातार निशाना बना रहे हैं। यूं तो उपचुनाव का लाभ अमूमन सत्ताधारी दल के पक्ष में ही जाता है। मगर गैर-यादव औबीसी के खिसकते जनाधार को लेकर भाजपा चिंतित है। कोयरी-कुर्मी व दलितों गिरते वोट प्रतिशत के इंडिया गठबंधन के तरफ खिसकने को चेतावनी माना जा रहा है।
देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य की कमान हाथ में होने के कारण तथा उग्र हिन्दुत्व का पताका फहराने वालों में तेज-तर्रार योगी के आगे चुनौतियां कम नहीं हैं। धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा जातियों-क्षेत्र व भाषा के नाम पर होने वाले बंटवारे के प्रति जनता को यूं ही नहीं चेता रही। लोकतंत्र की यही खूबी है। सत्तानशीं व सत्ताच्युत, दोनों ही दलों को जनता के रुख को भांपना पड़ता है। अंतत: जनता-जनार्दन ही सर्वोपरि है।
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