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Last Updated 02 Nov 2024 01:37:31 PM IST

भारत और चीन के बीच देमचौक और देपसांग में विवाद और टकराव को खत्म करने के लिए कुछ दिन पहले जो सहमति बनी है उसका दीपावली के अवसर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)समेत कई सीमाओं पर सकारात्मक असर दिखाई दिया।


दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे को मिठाइयां बांटकर प्रेम और सद्भाव का परिचय दिया। 4 साल पहले गलवान घटनाक्रम के बाद यह प्रथा बंद हो गई थी। अब यह पुनर्जीवित हो गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर देशवासियों को बताया कि भारत और चीन पहले एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में मतभेद को हल करने के लिए राजनयिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं।

बातचीत के परिणाम स्वरूप सामान और पारस्परिक सुरक्षा के आधार पर एक व्यापक सहमति विकसित हुई। इस सहमति के आधार पर दिन देमचौक और देपसांग में सैनिक टकराव के दोनों अग्रिम मोचरे से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इन दोनों जगह से अस्थाई ढांचे और टेंट आदि हटा लिए गए हैं।

सामान्य तौर पर जब दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक लंबे समय से विश्वास और संदेह के जो रिश्ते चले आ रहे हैं उसे देखते हुए कोई यह दावा नहीं कर सकता कि भारत और चीन के बीच विवादों का स्थाई समाधान हो गया है, लेकिन दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व सहित सैन्य स्तर पर जो सहमति बनी है उसे यह आशा बंधती है कि भविष्य में सैन्य संघर्ष की स्थिति नहीं बनेगी। वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि आर्थिक स्तर पर भी पारस्परिक रिश्तों को सुधारने का दोनों देशों पर दबाव था।

वैश्विक स्तर पर अनेक क्षेत्रों में संघर्ष चल रहे हैं। नए समीकरण बन रहे हैं। अभी कुछ महीने पूर्व विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि दुनिया में अमेरिका का प्रभुत्व समाप्त हो रहा है। उनकी इस बयान की भारत की स्थिति राजदूत ने प्रशंसा की थी। भारत का अमेरिका और कनाडा के साथ रिश्तों में तनाव पैदा हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दीपावली के अवसर पर सेनाओं के बीच यह कहना काफी अर्थपूर्ण है कि भारत के अंदर और बाहर कुछ तकतें देश को अस्थिर करना चाहती हैं।

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यह संकेत दिया था कि भारत चीन से निवेश का इच्छुक है। जाहिर है अंतरराष्ट्रीय और अर्थव्यवस्था दोनों ही स्थान पर यह दबाव बन रहा है कि भारत और चीन अपने द्विपक्षीय रिश्तों को सहज करें। आशा बंधती है कि आने वाले दिनों में ये रिश्ते और अधिक प्रगाढ़ एवं मधुर होंगे।



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