किसान आंदोलन : गृहस्थी से समय निकाल प्रदर्शन में भी साथ दे रही महिलाएं
खेत और परिवार की जिम्मेदारियों से घिरी पंजाब और हरियाणा की सैकड़ों महिलाएं अब किसानों के आंदोलन में शामिल होकर अपनी व्यस्त जिंदगी के एक अलग ही पहलु से रू-ब-रू हो रही हैं।
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दोनों राज्यों से आईं ये महिलाएं दिल्ली के विभिन्न प्रवेश मागरें पर किसानों के साथ कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं।
केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए जब उनके पति, बेटा और भाई घर से निकले तो वे भी उनके साथ हो लीं और गांव से राष्ट्रीय राजधानी की तरीफ कूच कर दिया। लुधियाना की रहने वाली 53 वर्षीय मनदीप कौर ने कहा कि खेती के पेशे की पहचान लिंग से नहीं की जा सकती है। हमारे खेतों में मर्द और औरत के आधार पर फसल पैदा नहीं होती। कई पुरुष किसान यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में हमें घरों में क्यों बैठना चाहिए। उन्होंने रूढ़िवादी भूमिका को भी खारिज कर दिया।
मनदीप बस के जरिये सिंघु बॉर्डर पर आई जहां पर करीब दो हफ्ते से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और रात में प्रदर्शन कर घर लौट गई। उन्होंने कहा कि मैं वापस आऊंगी। हमें अपना घर भी देखना है और लड़ाई भी जारी रखनी है। यहां आने से पहले मैंने खेतों में सिंचाई की और मेरे लौटने तक उसमें नमी रहेगी।
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