रोशनी कानून : पुनर्विचार याचिकाओं पर 21 को हो फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से कहा कि रोशनी कानून निरस्त करने के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 21 दिसम्बर को फैसला करे।
सुप्रीम कोर्ट |
रोशनी कानून सार्वजनिक भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक प्रदान करता है।
रोशनी कानून 2001 में लागू किया गया था। इसका मकसद एक ओर बिजली परियोजनाओं के लिये वित्तीय संसाधन पैदा करना और दूसरी ओर सरकारी भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक देना था। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि परस्पर विरोधी आदेशों से बचने के लिये अपीलकर्ताओं को इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए उच्च न्यायालय जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के इस आश्वासन पर विचार किया कि इस मामले में शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि वे ‘सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले या अनधिकृत लोग’ नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के 9 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई की जाएगी।
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