प्रोन्नति में आरक्षण : सरकार उठाएगी समुचित कदम
नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लेकर विपक्ष के आरोपों के बीच सरकार ने संसद में सोमवार को स्पष्ट किया कि वह एससी-एसटी के लिए आरक्षण को प्रतिबद्ध है और इस फैसले को लेकर उच्च स्तर पर विचार के बाद समुचित कदम उठाएगी।
![]() सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत (file photo) |
संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया, जिसमें उसने कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। विपक्ष ने सरकार पर दलित विरोधी बताया और इस मुद्दे पर समीक्षा याचिका दायर करने की मांग की। सदन में लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और अपना दल जैसे केंद्र में सत्तारूढ़ राजग के घटक दलों ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने लोकसभा एवं राज्यसभा में इस मुद्दे पर अपने बयान में कहा, ‘‘हमारी सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध है। इस विषय पर उच्च स्तरीय विचार के बाद भारत सरकार समुचित कदम उठाएगी। गहलोत ने कहा, ‘‘फैसले को ध्यान में रखते हुए सरकार इस पर उच्च स्तरीय विचार कर रही है। इस मामले में न तो भारत सरकार को पक्षकार बनाया गया और न ही भारत सरकार से शपथ पत्र मांगा गया।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उक्त मामला/एलएलपी उत्तराखंड सरकार द्वारा दिनांक 5 सितंबर, 2012 को लिए गए निर्णय के कारण उत्पन्न हुआ, जिससे उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण नहीं लागू करने का निर्णय लिया था। 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। दोनों सदनों में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार के बयान से असंतोष व्यक्त करते हुए सदन से वाकआउट किया। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि वह इस मामले में तत्काल पुनरीक्षण याचिका दायर कर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर न्यायपालिका में भी आरक्षण लागू करने का फैसला करे। बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने सरकार से पूछा कि क्या इस मामले में केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनेगी?
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