शरद यादव के पास नहीं बचा है विकल्प
कभी राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले शरद यादव के पास आज राजनीतिक विकल्पों की कमी हो गई है.
शरद यादव (फाइल फोटो) |
एक जमाने में राजग के संयोजक रहे और केंद्र में मंत्री रहे शरद यादव को राजनीति में रहने और सांसद बने रहने के लिए भी अब कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. उन्हें इंतजार करना होगा. अगर उनकी राज्यसभा की सदस्यता जाती है तो उन्हें संसद में बैठने के लिए 2019 के आम चुनाव तक इंतजार करना पड़ सकता है.
शरद यादव के पास विकल्पों की इस कदर कमी है कि वह कांग्रेस की बैसाखियों पर राजनीति करने के लिए विवश हैं. शरद ने एक मुश्किल रास्ता अपनाया है. इसलिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सहानुभूति उनके साथ है. कांग्रेस अगर उन पर मेहरबान होती है तो उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की होशंगावाद सीट से महागठबंधन की तरफ से चुनाव लड़वा सकती है. इसके अलावा कांग्रेस के पास उनके लिए शायद ही कोई दूसरा प्रस्ताव हो. शरद को तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी की भी मदद लेनी पड़ सकती है.
नीतीश कुमार से बैर मोल ले लेने के बाद शरद के लिए बिहार में राजनीति करना आसान नहीं होगा. लालू की मदद से बिहार में पैर जमाने को लेकर शरद दुविधा में हैं. लालू से लंबा निभ पाने की उन्हें उम्मीद कम है. उत्तर प्रदेश में सपा नेता अखिलेश यादव उनके काम आ सकते थे पर उनकी भी राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं रही.
जद (यू) कोई पूरे देश में फैली पार्टी तो है नहीं. वह बिहार तक ही केंद्रित है. यही वजह है कि जब शरद यादव ने नीतीश कुमार से अलग लाइन लेने का साहस दिखाया तो उनके साथ पार्टी के ज्यादा नेता उनसे छिटक गए. महासचिव केसी त्यागी उनसे सबसे पहले अलग हुए. शरद यादव के खिलाफ नीतीश सार्वजनिक रूप से जो भी बुलवाना चाहते हैं वह केसी त्यागी से ही बुलवाते हैं.
छोटू भाई को बनाया जदयू का कार्यकारी अध्यक्ष
जदयू के शरद यादव खेमे ने गुजरात से विधायक छोटू भाई वसावा को रविवार को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. जदयू नेता अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला किया गया.
हाल ही में गुजरात से राज्य सभा की तीन सीटों पर हुये चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वसावा के वोट से ही जीत मिल सकी थी. बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में श्रीवास्तव ने बताया कि बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी अध्यक्ष पद नियुक्ति को रद्द कर वसावा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है.
पार्टी के उपाध्यक्ष के. राजशेखरन की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खेमे द्वारा महागठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ गठजोड़ करने सहित अन्य फैसलों को भी रद्द कर दिया गया. (भाषा)
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