मार्शल अर्जन सिंह को नम आंखों से देश ने दी अंतिम विदाई

Last Updated 18 Sep 2017 09:44:31 AM IST

भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है. उनके निवास स्‍थान से पार्थिव शरीर को दिल्ली कैंट के बरार स्क्वायर लाया गया था, जहां उन्‍हें मुखाग्नि दी गई.


भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह की अंतिम यात्रा शुरू

उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. उनकी पत्नी 2011 में ही गुजर गयी थीं.

वर्ष 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर माबूर कर देने वाले भारतीय वायुसेना के महायोद्धा ‘मार्शल ऑफ दि एयरफोर्स’ अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर आज पूर्ण सैनिक सम्मान के बीच पंचतत्वों में विलीन हो गया. उनके सम्मान में आज दिल्ली सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा जहां यह नियमित फहराता है.
               
दिल्ली छावनी के बरार स्क्वॉयर स्थित श्मशान में 21 तोपों की सलामी एवं सैन्य बैंड की शोकधुन के बीच सिख परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया. अठानवे वर्षीय मार्शल ऑफ दि एयरफोर्स सिंह को शनिवार सुबह हृदयाघात होने पर सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

शनिवार देर शाम उनका निधन हो गया. उनका जन्म 15 अप्रैल 1919 में पंजाब के लायलपुर जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद में आता है, पाकिस्तान) में ब्रिटिश भारत के एक प्रतिष्ठित सैन्य परिवार हुआ था. उनके पिता और दादा भी सैन्य अधिकारी रहें.

सिंह को तोपों की सलामी दी गयी. भारतीय वायुसेना के तीन सुखोई लड़ाकू विमानों ने फ्लाई पास्ट कर वायुसेना के एकमात्र पांच-रैंक वाले मार्शल अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी. भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने भी मार्च पास्ट कर उन्हें सलामी दी.

सुखोई विमानों ने मिसिंग मैन फॉरमेशन  बनाया. हवा में बनने वाला यह फॉरमेशन दिवंगत सैन्य अधिकारी के सम्मान में बनाया जाता है.

सिंह के निधन पर शोक स्वरूप आज राजधानी दिल्ली में सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा. वहीं पंजाब में प्रदेश सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.
             
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी, रक्षा सचिव संजय मिश्रा, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ, सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा सहित अनेक विशिष्ट हस्तियों तथा तीनों के सेनाओं के वरिष्ठ सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
             
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके निवास पर जा कर उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धासुमन अर्पित किये. राष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में कहा कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी देशवासियों के लिए वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह एक जीवित किंवदंती रहे. मोदी ने शोकपुस्तिका में अपने उद्गार भी व्यक्त किये.        
               
करीब साढ़े आठ बजे उनके 7 ए कौटिल्य मार्ग स्थित आवास से भव्य सैनिक काफिले में तोपगाड़ी तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर ले कर बरार स्क्वॉयर पहुंची जहां तीनों सेनाओं की संयुक्त टुकड़ी ने उनके अंतिम संस्कार के वक्त उन्हें अंतिम सलामी पेश की. सेना की 21 तोपों की सलामी के बाद वायुसेना के तीन एमआई-17 हेलीकॉप्टरों और वायुसेना के जगुआर युद्धक विमानों ने भी आसमान में उड़ान भरते हुए अपने इस सबसे बड़े नायक को सलामी दी.

मार्शल ऑफ दि एयरफोर्स अर्जन सिंह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय में भारतीय वायु सेना के प्रमुख थे. इस युद्ध में उनके नेतृत्व में वायुसेना की शानदार भूमिका के कारण पाकिस्तान की सैन्य ताकत पस्त हो गयी थी और भारत की शानदार जीत हुई थी. वह इस पद पर 1964 से 1969 तक इस पद पर रहे. एयर मार्शल अर्जन सिंह को सबसे पहला एयर चीफ मार्शल होने का भी गौरव प्राप्त हुआ. उन्हें 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पद्मविभूषण से अलंकृत किया गया.

वह सेवानिवृत्त होने के बाद स्विटरलैण्ड और केन्या में भारत के राजदूत भी रहें. वर्ष 1989-90 में दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर भी तैनात रहें. वह इकलौते वायु सेना अधिकारी थे जिन्हें‘पंच तारा रैंक’प्रदान की गयी थी.

वह सबसे कम उम्र में वायुसेना प्रमुख बने. उन्हें 44 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले मार्शल अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभायी थी.

  

भारत रत्न देने की मांग :  
सिरसा ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अलग-अलग पत्र लिखकर कहा कि एयर मार्शल अर्जन सिंह के योगदान का कोई सानी नहीं हैं, वह देश के एक मात्र पांच सितारा जनरल थे.


      
युद्ध में  भारत की विजय में वायु सेना का योगदान अतुलनीय माना जाता है. उन्हें 1965 के युद्ध में बेहतरीन नेतृत्व करने के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था लेकिन अब उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न प्रदान करने का सही समय है.
     
उन्होंने कहा कि जब वह जीवित थे, तब उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित करने की जरूरत थी लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए अब उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने का समय है.
 

समयलाइव डेस्क/एजेंसी


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