कोरोना से खतरनाक संक्रमण से निपटने के लिए जो नसीहतें आज दी जा रही हैं‚ पीढियों पहले से ही वे हमारे जीवन का हिस्सा रही हैं।
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हमें बचपन की वे नसीहतें याद रखनी चाहिये जब घरों में बड़े़–बूढ़े टोका–टाकी किया करते है। ड़ब्ल्यूएचओ ने उन्हीं नसीहतों को बार–बार दोहराया है। कोरोना से लड़़ने के लिएबार–बार हाथों को धोना‚ सफाई से रहना और सामाजिक दूरी बनाकर रखना अनिवार्य हो गया है।
भुला दी गइ बातेंः याद होगा कि हमारे घरों में पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती थीं और आखिरी रोटी कुत्तों के लिए रखी जाती थी। आज के समय में छुट्टा घूमने वाले तमाम पशु–पक्षी खाने की चीजों के लिए भटकते देखे जा रहे हैं। कम से कम एक–दो रोटी‚ चावल या बाजरे के कुछदानें या बची हुई ब्रेड़/बिस्कुट आदि खिड़़की‚ बालकानी में या बाहर पेड़़ के नीचे रखने की आदत अपनानी चाहिए। गरमी बढ़ रही है इसलिए प्याले में पानी भर कर बाहर या अपने घर की छत पर जरूर रखना चाहिए।
याद रखना चाहिए कि इस संक्रमण से बचने के लिए सारी दुनिया ने हाथ मिलाना छोड़़ दिया। हमारी परंपरा में पहले ही दोनों हाथ जोड़़ कर प्रणाम करने का रिवाज रहा है।
हमें हमेशा सिखाया जाता रहा है कि इधर–उधर थूकना नहीं चाहिए। विशेषज्ञ भी बार–बार यह कह रहे हैं खांसते और छींकते समय सबसे ज्यादा अहतियात बरतना चाहिए। इस संक्रमण को लेकर विभिन्न तरह के भ्रम फैलाये जा रहे हैं।
वही पुरानी नसीहतें:
- नाख‚ आंख‚ मुंह बार–बार ना छुएं
- सड़़क या बाजार से लौटने के बाद जूता/ चप्पल घर के भीतर ना लायें॥
- बाजार या ड़ाक्टर के यहां से लाढटते ही कपड़़ों को धो ड़ालें
- जो कपड धो नहीं सकते‚ उन्हें बाहर खुले में कुछ समय के लिए टंगा रहने दें
- खाने से पहले‚ खाने के बाद या खाना पकाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोया जाए
- बाजार से आने वाले फल/सब्जी‚ दवाआं के पैकेट या अन्य सामान सेनिटाइज किए जाएं या नमक के पानी से उन्हें धोया जाए।
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