यमुना में जहर : डराती है ऐसी राजनीति

Last Updated 04 Feb 2025 01:41:34 PM IST

जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यमुना से हमको वोट नहीं मिलता यह मैं समझ गया हूं तब उन्हें इसका आभास नहीं रहा होगा कि यमुना का पानी भी दिल्ली विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा हो सकता है।


स्वयं उन्हीं के अकल्पनीय वक्तव्य से दिल्ली में यमुना का पानी इस समय बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। उन्हें अपने भयावह वक्तव्य के वर्तमान परिणतियों की भी आशंका नहीं रही होगी। भाजपा द्वारा शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने उनसे नोटिस जारी कर विस्तृत विवरण मांगा और उनके उत्तर से स्वाभाविक ही संतुष्ट होने का कोई कारण नहीं था तो फिर दोबारा नोटिस भेजा गया है।
इनमें अनेक प्रश्नों का उत्तर उनके लिए देना कठिन है। चुनाव आयोग ने साफ-साफ कहा है कि गोलमोल जवाब देने की बजाय सीधे-सीधे उत्तर दें अन्यथा उन्हें पता है कि उनके विरु द्ध क्या कार्रवाई हो सकती है? इसी तरह हरियाणा में भी उनके विरु द्ध मुकदमा दर्ज कराया है। केजरीवाल और उनकी पार्टी चुनाव आयोग, भाजपा और कांग्रेस को ही कह रही है कि वह अमोनिया वाला पानी पीकर दिखाएं मानो दिल्ली में यमुना पानी की उनकी नहीं, इन सबकी जिम्मेवारी है। निश्चित रूप से उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो सकता है। मुकदमे की परिणति जो भी हो उन्होंने जिस तरह की बातें कीं वैसा स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी भी नेता ने नहीं किया।

इस आरोप से कि दिल्ली में आने वाले यमुना के पानी में हरियाणा सरकार ने जहर मिला दिया है पूरे देश में सनसनी फैल गई। उन्होंने डिजिटल पेनिट्रेशन और उनके पार्टी ने इसे बायोलॉजिकल वीपन या जैव हथियारों से तुलना करते हुए ‘जल आतंकवाद’ तक कह दिया। राजनीति में नेता और पार्टयिां एक दूसरे के विरु द्ध आरोप लगाते हैं, नेताओं की आपसी दुश्मनी भी हुई किंतु कभी ऐसा आरोप नहीं लगा कि एक प्रदेश की सरकार दूसरे प्रदेश में चुनाव न जीतने के कारण पानी में जहर मिलाकर वहां के लोगों को मारना चाहती है। सच है कि केजरीवाल के आरोपों और दिल्ली के यमुना जल में अमोनिया की उपलब्धता की कोई तुलना नहीं है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसकी आलोचना करते हुए आपराधिक मानहानि के मुकदमे के कारण भी दांव उल्टा पड़ा है। वैसे इसे अच्छा ही मनाना चाहिए कि लोगों के बीच यमुना जल की स्वच्छता निर्मलता आदि पर इसके कारण बहस चल रही है और लोग उसमें भाग ले रहे हैं।

सैनी ने पहले चुनौती दी कि मैं यमुना का जल पी कर दिखाऊंगा, केजरीवाल दिल्ली के यमुना जल को पीकर दिखाएं। सैनी ने पिया। आम आदमी पार्टी ने आधा वीडियो निकाल कर बताना शुरू किया कि ये तो मुंह में डालकर फेंक रहे हैं। पूरा वीडियो देखने वाले बता सकते हैं कि पहले पानी को उन्होंने कुल्ला किया और उसके बाद पीकर शरीर पर छिड़का है। कोई भी नेता दिल्ली के यमुना जल को मुंह में भी डालने का साहस नहीं दिखा सकता। यह कहना गलत नहीं होगा कि केजरीवाल जैसे चालाक और क्षण में हावभाव बदलकर हर विषय को अपने प्रति सहानुभूति में बदलने में माहिर केजरीवाल को इस समय लेने के देने पड़ते दिख रहे हैं। विधानसभा चुनाव में किसकी जीत या हार होगी यह अलग विषय है। पर क्या इस तरह के जघन्य और घृणित आरोपों की राजनीति होनी चाहिए?

क्या कोई भी पार्टी या सरकार इस कारण किसी राज्य की जनता को मारना चाहेगी कि उनका बहुमत उसे वोट नहीं दे रहा? दुखद सच है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी को काम करना नहीं आता। जब आपको काम करना नहीं आता तो आप अपने दायित्व से पल्ला झाड़ने के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं। आरोप लगाते हैं कि उपराज्यपाल काम करने नहीं देता, केंद्र काम करने नहीं देता, हमारे पैसे नहीं देते, हमको झूठे मुकदनों में फंसा कर जेल में डालती है आदि-आदि। अभी कह रहे हैं कि चुनाव आयोग भी अब हमको जेल में डालने वाला है। समूची दिल्ली की सड़कें गड्ढों में बदल चुकी है।

लुटियन दिल्ली को छोड़ दें तो शायद ही दिल्ली में कोई सड़क हो जहां आपकी गाड़ी या सवारी सरपट चल सके। इस कारण ट्रैफिक जाम से लेकर गाड़ी के मेंटनेंस के खर्च पड़ रहा है एवं प्रदूषण वृद्धि में भी इसका योगदान है। पानी की हालत यह है कि बहुत बड़ा वर्ग पानी खरीद कर पी रहा है। झोपड़ियां तक पानी के बड़े-बड़े कैन आ रहे हैं। 10 वर्ष के कार्यकाल में दिल्ली में किसी एक फ्लाईओवर और फुट ओवर ब्रिज की मरम्मत तो छोड़िए पेंटिंग भी नहीं हुई है। यह तो नहीं माना जा सकता हरियाणा या उत्तर प्रदेश या पंजाब की नदियां पूरी तरह स्वच्छ व निर्मल हैं। हरियाणा के यमुना जल में कारखाने से निकलने वाले कचरे नहीं गिरते हैं यह भी नहीं कह सकते, पर दिल्ली जैसी यमुना में सड़ांध कहीं नहीं है।

दिल्ली में पूरी यमुना की लंबाई का 2 फीसद है, लेकिन इसके प्रदूषण का 80 फीसद अंशदान इसी का होता है। इसके लिए हम किसी दूसरे सरकार को जिम्मेदार नहीं मान सकते। यहां निर्धारित 12 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्मिंत होकर चालू नहीं हुए। इसके लिए किसे दोषी माना जाएगा? जहां के जल का मुख्य स्रोत यमुना नदी हो वहां किस तरह का पीने का पानी और वातावरण मिल रहा होगा इसकी कल्पना करिए। उन्होंने कुछ दिन पहले ही दिल्ली की सड़कों और यमुना के पानी को स्वच्छ करने के अपने वायदे को पूरा न करने के लिए लोगों से क्षमा याचना का बयान दिया था। उनको लगता था कि यह मुद्दा बन रहा है, इसलिए माफी मांग कर मुद्दे को कमजोर करने की रणनीति अपनाई। किसी परिस्थिति में दूसरी पार्टी और सरकार को पूरे राज्य की जनता की हत्या की कोशिश करने बाला बता देना क्षमा योग्य राजनीति नहीं है। इससे हिंसा हो सकती है।

चुनाव आयोग निश्चित रूप से इस मामले को जांच के लिए देगा और हरियाणा में भी मुकदमा चलेगा। अगर आपने आरोप लगाया है तो आपको प्रमाण देना होगा किस स्थान पर कहां कितना जहर मिलाया गया और जहर मिलाने वाले कौन हैं? यमुना को पूरी तरह सड़ा देने की अपनी जिम्मेवारी को दूसरे के सिर डालकर वोट पाने की राजनीति किसी भी तरह स्वीकार नहीं हो सकती। इससे ऐसी घातक राजनीति के दौड़ की शुरुआत होगी जिसका अंत भयावह होगा। नदी के पानी में लोगों को मारने के साजिश के तहत जहर डालने जैसे आरोपों की राजनीति की हर स्तर से निंदा तथा इसके विरुद्ध सभी संभव कानूनी कार्रवाई होनी ही चाहिए।
(लेख में विचार निजी है)

अवधेश कुमार


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