CISF : सुरक्षा व्यवस्था का अहम स्तंभ

Last Updated 10 Mar 2025 01:28:44 PM IST

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ)- 10 मार्च, 1969 को स्थापित-भारतीय सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।


इस बल का उद्देश्य देश के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों, मेट्रो स्टेशनों और अन्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अत्याधुनिक तकनीक, कठोर प्रशिक्षण और अनुशासन के साथ सीआईएसएफ देश की सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है।

सीआईएसएफ की विशेषज्ञता औद्योगिक सुरक्षा तक सीमित नहीं है। यह बल देश के 66 से अधिक हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों, अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों, मेट्रो नेटवर्क और सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करता है। इसके अलावा, सीआईएसएफ महत्त्वपूर्ण सरकारी और निजी क्षेत्र के औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में भी तैनात है, जिनमें इस्पात संयंत्र, तेल रिफाइनरियां, बंदरगाह, जल विद्युत और थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं। 

सीआईएसएफ का डॉग स्क्वाड दुनिया के सबसे उन्नत सुरक्षा बलों में माना जाता है। यह विस्फोटकों और अन्य संदिग्ध सामग्रियों की पहचान में अत्यधिक कुशल है। साथ ही, सीआईएसएफ स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम, बायोमेट्रिक सिस्टम, बॉडी स्कैनर और आर्टििफशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है, जिससे किसी भी खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकता है। सीआईएसएफ न केवल सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी  महत्त्वपूर्ण उदाहरण बन चुका है। इस बल में 7% से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, जो इसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सीएपीएफ में महिला भागीदारी के मामले में अग्रणी बनाता है। 

2024 के गणतंत्र दिवस पर पहली बार सीआईएसएफ की महिला बैंड टुकड़ी और महिला कमांडो टुकड़ी ने कर्त्तव्य पथ पर मार्च किया। इस ऐतिहासिक परेड का नेतृत्व असिस्टेंट कमांडेंट तन्मयी मोहंती ने किया था। इस प्रदशर्न ने प्रमाणित किया कि महिलाएं भारतीय सुरक्षा बलों में पुरु षों के समान योगदान देने में पूरी तरह सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त, नवम्बर, 2024 में गृह मंत्रालय ने  सीआईएसएफ की पहली ‘ऑल-वुमेन बटालियन’ की स्थापना को मंजूरी दी। इसमें 1,025 महिला कमांडो शामिल हुई जिन्हें हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया जाएगा।

सीआईएसएफ का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम इसे अन्य सुरक्षा एजेंसियों से अलग बनाता है। इसमें जवानों को क्राउड कंट्रोल, एंटी-टेरर ऑपरेशंस, बायोमेट्रिक सिक्योरिटी, साइबर सुरक्षा, और उच्चस्तरीय खुफिया विश्लेषण का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण का केंद्र राष्ट्रीय औद्योगिक सुरक्षा अकादमी है, जो हैदराबाद में है। यह अकादमी भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रसिद्ध है। सीआईएसएफ आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान,सीआईएसएफकर्मिंयों ने लॉकडाउन के समय हवाई अड्डों और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सीआईएसएफ की दक्षता भारत तक सीमित नहीं है। 

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत सीआईएसएफ के अधिकारी कई अंतरराष्ट्रीय अभियानों में शामिल रहे हैं।  इसके अलावा, सीआईएसएफ भारत के पर्यटन स्थलों की सुरक्षा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ताजमहल, कुतुब मीनार, और अन्य ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा सीआईएसएफ के अधीन है, जिससे पर्यटकों को सुरक्षित और संरक्षित माहौल मिलता है। 20 मई, 2024 से सीआईएसएफ को संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। पहले यह कार्य केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ द्वारा किया जाता था। सीआईएसएफ की औद्योगिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञता को देखते हुए यह महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। 

सीआईएसएफ ने स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम, बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल, बम-डिटेक्शन यूनिट और अन्य सुरक्षा उपाय अपना कर संसद भवन की सुरक्षा को अधिक अभेद्य बनाया है।
सीआईएसएफ एक सुरक्षा एजेंसी नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय संपत्तियों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर विकसित हो रहा बल है। इसकी कड़ी ट्रेनिंग, अत्याधुनिक तकनीक और अनुशासन इसे दुनिया के सबसे प्रभावी सुरक्षा बलों में से एक बनाते हैं। सीआईएसएफ का स्थापना दिवस बलिदान, अनुशासन और उत्कृष्टता का सम्मान करने का अवसर है। यह संगठन नई ऊंचाइयां छू रहा है, देश की सुरक्षा को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि इस गौरवशाली बल को और अधिक सशक्त बनाने के लिए हर संभव समर्थन देंगे। राष्ट्र की रक्षा में तत्पर सीआईएसएफ के हर कर्मी को हमारा नमन।

अभिषेक गुप्ता


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