शासन में नरेन्द्र मोदी के बीस साल : देशहित-जनहित में जरूरी मोदी

Last Updated 07 Oct 2021 12:37:40 AM IST

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रतिपक्ष कौन है? इस प्रश्न का उत्तर है ‘सत्तर साल’। दरअसल, ‘सत्तर साल’ वह समय है जब एक व्यवस्था के रूप में कड़े फैसले लेने से या तो हम हिचक रहे थे, या जनता को उसके लिए तैयार नहीं कर पा रहे थे।


शासन में नरेन्द्र मोदी के बीस साल

लेकिन एक नेता के रूप में मोदी ने देशहित और जनहित खास तौर से एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्लूएस वर्ग के हित में सर्वोत्तम साबित होने वाले फैसलों को लेने का साहस दिखाया और भारत को दुनिया के नक्शे पर अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया है। यह अनायास नहीं कि दुनियाभर के राजनेताओं की लोकप्रियता पर नजर रखने वाली अमेरिकी डाटा फर्म कंपनी ‘द मॉर्निग कंसल्ट’ के सर्वे में पिछली कई बार से प्रधानमंत्री मोदी पूरी दुनिया के सबसे लोकप्रिय और स्वीकार्य राजनेता माने जा रहे हैं। कंपनी के नवीनतम सितम्बर-2020 के सर्वे में पुन: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व पर सर्वाधिक लोगों ने भरोसा जताया है।

नरेन्द्र मोदी के बीस वर्ष का शासकीय कार्यकाल-प्रधानमंत्री के रूप में 7 साल से कुछ अधिक और तकरीबन 13 वर्ष गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में-उनकी जन-प्रतिबद्धता, कठोर परिश्रम, आपदा को अवसर में बदलने की कला, अद्भुत निर्णय क्षमता, दूरदर्शी विजन और 135 करोड़ देशवासियों के लिए कुछ कर गुजर जाने की प्रबल आकांक्षा की जैसे एक जादुई कथा है।
शुरुआत गुजरात से, जहां नरेन्द्र मोदी 2001 में मुख्यमंत्री बने। उस समय पूरा गुजरात भयानक भूकंप से ध्वस्त-त्रस्त था। अपने प्रशासनिक कौशल से उन्होंने गुजरात को बहुत जल्द दोबारा से खड़ा कर दिया। फिर अपनी आर्थिक नीतियों और ‘वाइब्रेंट गुजरात’ जैसे कार्यक्रमों से उन्होंने गुजरात को देश का जैसे आर्थिक मॉडल बना दिया। 2009-10 में जब यूपीए सरकार नीतिगत पक्षाघात की शिकार होकर फैसले नहीं ले पा रही थी, तब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी अपनी राह पर तेज चल रहे थे। 1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का सबसे अधिक फायदा दिलाने वाले नेता के रूप में वे बन कर उभरे। उन्होंने हर जगह सरकार के दखल को कम करके लेकिन हर स्थान पर सरकार की निगरानी को बढ़ा कर ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवन्रेस’ को सार्थक करते हुए गुजरात की जनता को बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाएं  और सुशासन उपलब्ध कराने का कीर्तिमान स्थापित किया।
नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं जिन्हें देश के विकास में आधारभूत ढांचे की भूमिका की अच्छी समझ है। लिहाजा, आज पूरा देश एक कंस्ट्रक्शन साइट में बदल गया है। उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में अनेक ऐसी योजनाएं शुरू और पूरी हुई जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की जाती थी। यही नहीं, पहले चीनी दबाव के कारण चीन से लगते इलाकों को छोड़ देने की परिपाटी रही थी। पीएम मोदी ने इसे बदला। इन क्षेत्रों में जम कर आधारभूत ढांचों का निर्माण हो रहा है, जो चीन को फूटी आंख नहीं सुहा रहा। आज चाहे गलवान घाटी का मुद्दा हो या डोकलाम का, मोदी सरकार चीन के साथ किसी भी गतिरोध की स्थिति में दब या झुककर नहीं, बल्कि डटकर जवाब देने में सक्षम है।
अपने आर्थिक फैसलों में भी पीएम मोदी  किसी दुविधा के शिकार नहीं दिखते। नोटबन्दी करना और जीएसटी लाना आसान काम नहीं था लेकिन काला धन से मुक्ति, टैक्स सुधार और जनहित में इन आर्थिक फैसलों को लेने में प्रधानमंत्री मोदी ने दृढ़ता दिखाई। गरीबों का तो मोदी जी पूरा ध्यान रखते हैं। अब तक दिल्ली से जो रु पया भेजा जाता था उसका 15 फीसदी ही आम आदमी को मिल पाता था। मोदी-राज में आज पूरा का पूरा पैसा सीधे उनके खाते में पहुंचता है। बिचौलिया राज खत्म। नया किसान कानून भी इसी कड़ी में एक कदम है जो किसानों की आय दोगुनी करेगा। लेकिन बिचौलिये और राजनीतिक विरोधी इसे पचा नहीं पा रहे और किसानों को भ्रमित करने में लगे हैं।  
मोदी जी ने वैश्विक मंच पर भी भारत की ताकत को बढ़ाया है। योग के रूप में भारत की  सॉफ्ट पावर को बढ़ाने से लेकर वैक्सीन डिप्लोमेसी तक में भारत की धाक लगातार जमी है। उनकी इसी कूटनीति का परिणाम है कि कश्मीर मुद्दे पर किसी इस्लामिक देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया, बल्कि ज्यादातर ने इसे भारत का निजी मसला बताया। मुसलमानों के सबसे प्रमुख देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से उनके रिश्ते शानदार हैं। यहां तक कि उन देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी उन्हें नवाजा गया है। अमेरिका का हालिया सफल दौरा और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान के साथ क्वाड संगठन को नये स्तर पर लाकर उन्होंने चीन को चारों तरफ से घेरने का बड़ा व्यूह भी रच दिया है।
घरेलू मोर्चे पर अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू और कश्मीर की आम जनता को पीएम मोदी ने एक तरह से मुक्त और बराबरी पर ला खड़ा किया, तो सदियों से लटके पड़े राम-मन्दिर मसले के हल में भी अहम भूमिका निभाई। उधर, तीन तलाक पर कानून लाकर मुस्लिम बहनों को राहत की बड़ी सांस दिलाई। पीएम मोदी की चिंता आम जनता और गरीब वर्ग के प्रति है, और उसमें भी महिलाओं के सशक्तीकरण पर उनका मुख्य फोकस है।
स्वच्छता अभियान और घर-घर शौचालय, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना, गरीब महिलाओं के लिए मुफ्त गैस कनेकशन के साथ-साथ 50 करोड़ गरीबों के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना, मुद्रा बैंक स्कीम अथवा किसान फसल बीमा योजना निश्चित रूप से दूरगामी प्रभाव छोड़ेंगे। सभी लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन इसी दिशा में एक अन्य महत्त्वपूर्ण कदम है।
शिक्षा एक अन्य क्षेत्र है, जिसके माध्यम से मोदी सरकार ‘न्यू इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ गढ़ने की दिशा में कार्यरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न अभिनव और क्रांतिकारी बिंदु जैसे मातृभाषा में शिक्षा, ‘राइट टू एजुकेशन’ को 14 साल से आगे बढ़ाकर माध्यमिक स्तर तक 18 वर्ष के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य और स्कूली शिक्षा ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ का लक्ष्य, एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांगों और ईडब्लूएस वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए वर्तमान की सरकारी योजनाओं के अलावा भी विशेष प्रावधान, निजी संस्थानों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने के लिए कैपिंग, रोजगार देने के लिए स्कूल से लेकर कॉलेज तक में वोकेशनल कोर्स (जिनमें ‘कोडिंग’ आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिकतम वोकेशनल प्रशिक्षण शामिल हैं) आम आदमी का भविष्य बदल देंगे। उधर, कॉलेज स्तर पर विषय (धारा) चयन के बंधन से मुक्ति, मल्टी-एंट्री और मल्टी-एग्जिट स्कीम, ‘एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स’ छात्रों खास तौर से वंचित तबके के लिए क्रांतिकारी सिद्ध होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कर्मशील, ऊर्जावान और जनप्रतिबद्ध व्यक्तित्व आज भारत के 135 करोड़ देशवासियों की आशा-आकांक्षाओं का केंद्र है। अब्राहम लिंकन के शब्दों में कहें तो मोदी सरकार सच्चे अथरे में भारत की जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा सरकार है। चंद ताकतों के निहित स्वाथरे में न फंसकर जनहित और देशहित के लिए इनका साथ दिया जाए, यही समय की मांग और जरूरत है।

अन्नपूर्णा देवी
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री


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