है खूब से खूबतर कहां..

Last Updated 07 Oct 2021 12:33:06 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम नया कीर्तिमान दर्ज हो रहा है। वह देश के इतिहास में लगातार 20 साल से सत्ता में रहने वाले व्यक्ति हैं।


है खूब से खूबतर कहां..

वह 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और अब पिछले सात साल से देश के प्रधानमंत्री हैं। मोदी को लेकर एक अलग रिकॉर्ड पर विचार करना होगा। जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब विधानसभा के सदस्य भी नहीं थे। इसी तरह जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने जीवन में पहली बार संसद भवन में प्रवेश किया। जब मुख्यमंत्री बने तो प्रशासनिक कार्यों में अनुभव की कमी ने उनके कार्य में बाधा नहीं आने दी। इसी तरह प्रधानमंत्री बनने से पहले एक बार भी लोक सभा चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद उनके कार्य का विजय रथ रुका नहीं।
बीस साल पहले जब वे दिल्ली में सक्रिय थे, तब उन्हें पार्टी ने गुजरात का दायित्व सौंपा और भाजपा द्वारा लिया गया वह फैसला न केवल मोदी के व्यक्तित्व के लिए, बल्कि देश के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने ऐसा विकास मॉडल तैयार किया जो गुजरात के हर क्षेत्र में साफ नजर आता है। इस दौरान उन्हें दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। उन्हें इस दौरान केंद्र सरकार का बिल्कुल सहयोग नहीं मिला। उल्टे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुजरात की बदनामी का अभियान चलाया गया। इन कठिन परिस्थितियों में उन्होंने बिना व्यक्तिगत शिकायत के ईमानदारी से अपना काम जारी रखा। उनके स्वभाव और काम करने की इस शैली ने ही उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में सफलता के शिखर पर पहुंचाया है। वैश्विक मंच पर मोदी जो कहते हैं, उस पर सबकी निगाहें रहती हैं। अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर में देश की प्रतिष्ठा कैसे बढ़े और विश्व राजनीति में भारत किस तरह से हस्तक्षेप करे।

पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हुए मोदी ने अमेरिकी महाशक्ति और यूरोपीय देशों के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाने में सफलता हासिल की। मोदी ने जिस सामाजिक परिवेश में जन्म लिया, उनके बचपन के संघर्ष और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से उनके देशभक्तिपूर्ण संस्कारों ने उनके इस स्वभाव को और सशक्त बनाया और आम आदमी, गरीबों, दलितों और शोषितों के लिए दिन-रात काम करना उनके जीवन का ध्येय बन गया। हमें स्वीकार करना होगा कि मोदी की नीति आम आदमी के जीवन में बुनियादी परिवर्तन ला रही है। जन-धन योजना का उदाहरण ले सकते हैं। लाखों लोगों ने कभी बैंक में प्रवेश नहीं किया था, क्योंकि उनका कभी बैंक में खाता खुला ही नहीं था। मोदी सरकार की इस योजना ने देश में 30 करोड़ से अधिक लोगों को प्रतिष्ठा दी। समाज के सभी वर्ग मसलन किसान, खेतिहर मजदूर, छात्र और महिलाएं सरकारी योजनाओं से सीधे लाभान्वित हों, मोदी सरकार ने इसी दिशा में निर्णय लिया। यह भी जन-धन योजना का एक पहलू है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना से फिलहाल देश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
जहां एक तरफ मोदी ने औद्योगिकीकरण पर जोर देने के लिए कई प्रयोग किए और फैसले लिए, वहीं गरीब, मध्यम वर्ग के किसानों के लाभ के लिए भी प्रयास किया। किसानों को मौसम के दौरान समय पर अच्छी गुणवत्ता के बीज और उर्वरक मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए खुद मोदी ने पहल की। यूरिया खाद की कालाबाजारी रोकने की कोशिश करते हुए उसकी गुणवत्ता बरकरार रखने के प्रयास हो रहे हैं। यह मामूली सी बात लग सकती है, लेकिन किसानों के जीवन में इसका कितना महत्त्व है, इसे केवल वही जान पाएंगे जो इसका सार समझते हैं। देश में पिछले कई दशकों से कृषि उपज के किफायती दाम मिलने की बात की जाती रही है, लेकिन दशकों से चली आ रही किसान विरोधी बाजार नीति को बदले बिना यह संभव नहीं था। इसके लिए मोदी ने देश भर में बाजार समितियों का आधुनिकीकरण करते हुए बाजार समितियों के किसान विरोधी नियमों और विनियमों को निरस्त करने का साहसिक निर्णय लिया। इस बात का भी ध्यान रखा गया कि सभी किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, यह मूल्य हर साल बढ़ाया जा रहा है।
विदेश नीति, आर्थिक नीति, रक्षा नीति आदि बहुत बड़े मुद्दे हैं। लिहाजा, इन पर मोदी ने जो किया उसके बारे में विस्तार से लिखने की जरूरत है, लेकिन यहां मुझे लगता है कि आम भारतीयों के लिए अलग से समीक्षा करना जरूरी है कि मोदी ने क्या-क्या किया। कुंभ मेले में सफाई कर्मचारी का पांव धोना सामान्य लग सकता है, लेकिन मोदी के इस कार्य के दूरगामी सामाजिक परिणाम होंगे। सिर से मैला ढोना कानूनन प्रतिबंधित है। लेकिन मुझे लगता है कि इस सामाजिक प्रक्रिया का अंत मोदी द्वारा सफाईकर्मिंयों के पैर धोना ही है। आम आदमी विशेषकर दलित और आदिवासी समुदायों को आर्थिक स्तर पर मुख्यधारा में लाने के लिए मुद्रा योजना शुरू की गई। यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि पहले समाज के इन वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कोई योजना नहीं थी लेकिन देश की समग्र स्थिति और उपलब्ध सरकारी नौकरियों की संख्या को देखते हुए, हर किसी को रोजगार प्रदान करना मुश्किल काम है। मुद्रा योजना उसी का विकल्प साबित हुई है। मोदी दलित और आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा और विदेशों में शिक्षा लेने का अवसर प्रदान करने के लिए कार्य कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।
आप मोदी मंत्रिमंडल पर दृष्टि डालें तो देखेंगे कि मंत्रिमंडल का चेहरा पिछले सभी मंत्रिमंडलों से अलग है। मंत्रिमंडल में कई चेहरे हैं, जो सत्ता के केंद्र में रहे लेकिन समाज के उन वर्गों को जिन्हें वास्तविक सत्ता में मौका नहीं दिया गया। यही बात मोदी को अलग बनाती है। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के राजनीतिक विचारों को लागू करते हुए डॉ. अंबेडकर की प्रेरणा बनी रहनी चाहिए। इसलिए डॉ. अंबेडकर से जुड़े स्थलों का विकास किया जा रहा है।
हम पार्टी के नेता, मित्र और मार्गदशर्क के रूप में नरेन्द्र मोदी की खासियत को महसूस करते हैं। लेकिन सार्वजनिक जीवन में भी, वह अलग-अलग स्तरों पर, दृढ़ संकल्प के साथ, एक ऐसे अलग नेता के रूप में होते हैं, जो ठोस और साहसिक निर्णय लेता है। आज देश की राजनीति के केंद्र में मोदी हैं। पिछले दो दशकों से सत्ता में हैं, लेकिन उनके पैर अभी भी जमीन पर हैं। उनकी इन विशेषताओं का उल्लेख करते हुए ढेर सारी शुभकामनाएं..!

विनोद तावडे
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव


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