निर्वासन की समस्या
अंतत: महिला, पुरुष और बच्चों सहित एक सौ चार अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान भारत पहुंच गया।
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अमेरिका में उचित दस्तावेज के बिना रहने वाले इन भारतीयों में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के लोग हैं। वैसे तो अमेरिका अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करता रहता है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का भारत के लिए यह पहला निर्वासन है। इस संबंध में भारत और अमेरिका के बीच बात भी हो चुकी थी और ऐसा निर्वासन ट्रंप की चुनावी घोषणाओं में भी शामिल था। जहां कुछ अन्य देशों ने ़इस तरह के निर्वासन पर अपनी आपत्ति जताई वहां भारत ने इसे सहज स्वीकार किया है।
कोई भी संप्रभु राष्ट्र ऐसे अप्रवासियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो अवैध तरीके से पहुंच कर न केवल उनके आर्थिक संसाधनों पर बोझ बनते हैं, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी संकट खड़ा करते हैं। अमेरिका सहित यूरोप के बहुत से देश ़इस तरह के अप्रवासन का संकट महसूस कर रहे हैं। स्वयं भारत भी अवैध घुसपैठियों की समस्या का सामना कर रहा है। यहां के राजनीतिक हलकों में हर दिन इसकी गूंज सुनाई देती है। इस समय भारत सरकार की नीति भी अवैध अप्रवासियों को रोकने की है जो पड़ोसी देशों से आकर बस गए हैं।
भले ही इस पर कुछ समूह मानवाधिकार या नैतिकता का प्रश्न खड़ा करें लेकिन भारत के पास स्वयं अपनी स्थिति को देखते हुए इस निर्वासन को अमेरिकी शतरे के साथ स्वीकार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। वैसे भारत की जिम्मेदारी यह भी बनती है कि वह दोहरी व्यवस्था को चाक-चौबंद करे। पहली यह कि उसके यहां अवैध अप्रवासन न हो और दूसरी यह कि यहां से अवैध ढंग से पलायन न हो।
भारत एक और गंभीर समस्या से जूझ रहा है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी अमेरिका, यूरोप के देशों में जाकर बसते हैं, जो या तो भारत विरोधी हैं, या आपराधिक गतिविधियों में संलग्न हैं। ऐसे लोग भारत में प्रताड़ित होने का स्वांग रचते हैं, और सहानुभूति के नाम पर वहां की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं।
अमेरिका और कनाडा से ऐसी घटनाएं उजागर हुई हैं जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को खतरे में डाला है। इसलिए भारत सरकार को प्रयास करना चाहिए कि अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने वाले गिरोहों पर लगाम लगाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरिका का निर्वासन का यह कदम भारत की अपनी निर्वासन नीति को भी मजूबती प्रदान करेगा।
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