जम्मू-कश्मीर का राजौरी रहस्यमय बीमारी की चपेट में
दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों के दल ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में रहस्यमय बीमारी की चपेट में आए 11 मरीजों से मुलाकात की। वे बधाल गांव भी गए, जहां इस बीमारी के कारण मौतें हुई हैं तथा उस इलाके का दौरा कर सील किए गए घरों व आस-पास के इलाकों का नमूने एकत्र किए, जिनकी जांच की जाएगी।
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विशेषज्ञों के दल ने उन मरीजों की भी जांच की जो निगरानी में हैं। जैसा कि बधाल गांव में तीन परिवारों के सत्रह लोगों की अज्ञात कारणों से अचानक हुई मौत को लेकर यह मामला सामने आते ही 87 परिवारों के 364 व्यक्तियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। शेष 808 परिवारों के 3700 लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गांव को चौदह समूहों में विभाजित किया। मृतकों के नमूनों में न्यूरोटॉक्सिन पाए जाने के एसआईटी का गठन किया गया था।
जो आपराधिक पहलू की भी जांच कर रहा है। लखनऊ की विष विज्ञान प्रयोगशाला में हुई शुरुआती जांच में मौत के कारणों में कोई संक्रमण, वायरस या बैक्टीरिया नहीं है। बल्कि कोई विषाक्त पदार्थ बताया गया। भर्ती मरीजों के इलाज के लिए भी विषरोधी औषधियों का ही प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि बीते दस दिनों से कोई नया मामला न आने पर राहत की सांस ली जा रही है। कोविड-19 संक्रमण की दहशत के कारण अचानक हुई इन मौतों को लेकर आमजन का भयभीत होना लाजमी है।
उस पर भी मरने वालों को बुखार, गले में दर्द, उल्टी या डायरिया जैसी दिक्कतें होने के चलते सभी दहशत से भर गए। चिकित्सकों द्वारा यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि यह कोई संक्रमण नहीं है, न ही यह महामारी में तब्दील होने की आशंका है। उनका अनुमान था कि यह वायरल, बैक्टीरिया, प्रोटोजोल या जूनोटिक संक्रमण हो सकता है या नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाली किसी चीज की भी आशंका व्यक्त की गई है।
मगर इलाके के इर्द-गिर्द व प्रशासन ने फौरी तौर पर एहतियातन चुस्ती से काम लिया। उन्हें खाने-पीने की चीजें मुहैया कराई और सार्वजनिक तौर पर मिलने-जुलने पर भी रोक लगाई। अपने यहां अफवाह के कारण भय फैलाने वाली मानसिकता भी है। दूसरे, पड़ोसी मुल्क द्वारा शरारत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जिस तेजी से हालात को संभालने का प्रयास जारी है, वह जल्द ही हकीकत से पर्दा उठाने में सफल हो सकता है।
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