सीबीएसई की सख्ती
अगले महीने से होने जा रही 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से कराने को लेकर केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का फैसला नि:संदेह महत्त्वपूर्ण पहल है।
सीबीएसई की सख्ती |
बोर्ड ने फैसला किया है कि अगर किसी परीक्षार्थी ने प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया पर डाला तो उसकी चार वर्ष की परीक्षा रद्द कर दी जाएगी। यानी उस परीक्षाक्र्षी का मौजूदा पेपर तो रद्द होगा ही, साथ ही उसे अगले तीन वर्ष की परीक्षाओं में बैठने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। दरअसल, बोर्ड की ऐसी सख्ती वक्त की मांग है। कई बार से ऐसा देखा गया है कि परीक्षार्थी उत्साह में आकर या बेवकूफी में प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया पर वायरल कर देता है।
इससे बाहर यह संदेश जाता है कि परीक्षा निष्पक्ष नहीं हुई और यह संदेश फैलते क्षण भर की भी देरी नहीं होती कि प्रश्नपत्र लीक हो गया। जाने-अनजाने इससे भ्रम फैलता है और सरकार के साथ-साथ बोर्ड भी दबाव में आ जाती है। साथ ही ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का मनोबल गिरता है। सीबीएसई ने इन मामलों की जांच के लिए एक कमिटी बनाई है, जिसकी सिफारिश के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
अनफेयर मीस के नियमों में ऐसे कई नियमों को शामिल किया गया है। यह देखने में आया है कि शैक्षणिक परीक्षाओं से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक में बड़े पैमाने पर अनियमितता और फर्जीवाड़ा किया जाता रहा। इन सबका प्रभाव देश की परीक्षा प्रणाली पर काफी बुरा पड़ता है। वैसे भी परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी लगाने, परीक्षा के दौरान मोबाइल फोन या कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के इस्तेमाल न करने का निर्देश देना उन छात्रों के लिए भी तो बुरी बात है।
यह सभी विद्यार्थियों के लिए निश्चित तौर पर सोचने-विचारने की बात है कि उनके लिए इतने सारे सख्त नियम-कायदे अमल में लाए जाएं। आखिर क्यों उन्हें परीक्षा में नकल करने या अनुचित व्यवहार करने के लिए विवश होना पड़ता है? इस बाबत उन स्कूलों, उन विद्यार्थियों और उनके परिजनों को भी संवेदनशील और संजीदा होकर मंथन करने की आवश्यकता है। गलत तरीकों से परीक्षा में अंक लाना बहादुरी नहीं है।
कॅरियर में आगे बढ़ने के लिए ईमानदारी से किए गए प्रयास और दुनियादारी को समझना ही अच्छे अंक की गारंटी है। नकल करके प्रथम श्रेणी में पास होना विद्यार्थियों को क्षणिक खुशी तो देगा, मगर उन्हें जीवन पथ पर पीछे धकेल देगा।
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