साइबर अपराध के लिए कुछ ठोस करना होगा
डिजिटिल अरेस्ट, साइबर अपराध और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से पैदा खतरों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चिंता व्यक्त करना वाकई हम सभी को सोचने पर विवश करती है।
साइबर अपराध के लिए कुछ ठोस करना होगा |
भुवनेश्वर में तीन दिवसीय 59वें अखिल भारतीय डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन के समापन में प्रधानमंत्री मोदी ने इन सब खतरों से निपटने के लिए पुलिस महकमे को सतर्क रहने को कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई इन सब धत् कर्म से निपटने के लिए बेहतरीन हथियार है और इन तकनीक का इस्तेमाल कर हम चुनौतियों से निपट सकते हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री ने साइबर अपराध को लेकर अपना मंतव्य दिया है।
हालांकि बार-बार इस ओर ध्यान दिलाने और तमाम उपायों के बावजूद ऐसे अपराधों की बाढ़ सी है। दरअसल, हमारे देश में अब अमूमन हर किसी के पास मोबाइल है। साथ ही ज्यादातर जनता पैसों का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती है। स्वाभाविक है, साइबर अपराधियों के लिए शिकार की कमी नहीं है। यही वजह है कि अब पुलिस के सामने ऐसे मामलों की बाढ़ सी है। और यह बड़ी चुनौती के रूप में है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 के पहले नौ महीनों के दौरान साइबर धोखाधड़ी के कारण भारत को 11,333 करोड़ रु पए का नुकसान हुआ है। सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टंिग एंड मैनेजमेंट सिस्टम के डेटा से यह भी पता चला है कि अकेले 2024 में साइबर धोखाधड़ी की लगभग 12 लाख शिकायतें दर्ज की गई।
चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 45 प्रतिशत मामले कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आए हैं। आए दिन मीडिया में डिजिटल अरेस्ट और साइबर अपराध के जरिये लाखों की ठगी के मामले सुर्खियों में रहते हैं। जाहिर है लोगों में जागरूकता का अभाव है। यहां तक कि पुलिस भी इनसे लड़ने में खासी दिक्कतों का सामना करती है।
इस नाते सबसे पहले साइबर पुलिसिंग को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करना होगा। वहीं जनता को लगातार जागरूक और सजग करने के लिए काम करना होगा। गाढ़ी कमाई का इस तरह लुट जाना वाकई तकलीफ की बात है। प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मोच्रे पर काम होगा।
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