वार्ता से रुकेगा रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक हजार दिन पूरे हो चुके हैं, और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक फैसले से इसके और लंबा खिंचने की आशंका बढ़ गई है।
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बाइडन जनवरी में पद छोड़ेंगे लेकिन जाते-जाते उन्होंने रूस के ठिकानों पर हमले के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। यह सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो रूस के अंदरूनी क्षेत्रों तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
इस फैसले से रिपब्लिकन पार्टी और रूस में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। डोनाल्ड ट्रंप के पुत्र ने कहा है कि मेरे पिता युद्ध की आग बुझाना चाहते हैं जबकि बाइडन आग में पेट्रोल डाल रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि फैसले से तनाव और बढ़ेगा।
ट्रंप के राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद यूक्रेन और पश्चिमी यूरोप के देशों में रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया था। जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन मसले पर दो साल के अंतराल के बाद फोन पर बातचीत की।
उल्लेखनीय है कि जो पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की मुहिम चला रहे थे वे ट्रंप की जीत के बाद शांति की बात करने लगे थे। ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि हथियारों की आपूर्ति युद्ध को लंबा खींचती है, और यूक्रेन को खुली सैन्य सहायता का समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन बाइडन ने इसकी अनदेखी की है।
युद्ध विरोधी विचारों का समर्थन करने वाली तुलसी गबार्ड को देश की सीआईए और एफबीआई सहित सत्रह खुफिया एजेंसियें की मुखिया नियुक्त किए जाने का स्पष्ट संदेश है कि ट्रंप नाटो में अमेरिका की भूमिका सीमित करना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि नाटो देश रूस को पराजित करने की नीति का समर्थन करते हैं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दो महीने पहले कहा था कि रूस के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल करने की मंजूरी देने का मतलब होगा यूक्रेन युद्ध में अमेरिका और नाटो देशों की सीधी भागीदारी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका से इन मिसाइलों का इस्तेमाल करने की लगातार अनुमति मांग रहे थे। देखना है कि जनवरी में पदभार संभालने के बाद ट्रंप इस फैसले को जारी रखते हैं, या बदलते हैं। राष्ट्रपति बाइडन के शासनकाल में शुरू हुआ यूक्रेन-रूस युद्ध कूटनीति और वार्ता के जरिए शांति में बदलता है, या नहीं। बहुत कुछ ट्रंप पर निर्भर करेगा। लेकिन यह सुनिश्चित है कि यह युद्ध बातचीत से ही रुकेगा।
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