सरकारी कर्मचारियों को वेतन चाहिए तो करनी होगी ये परीक्षा पास
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को आदर्श, तकनीकी और रचनात्मक बनाने के लिए मिशन शुरू किया है। सरकारी नौकरी करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारियों को कर्मयोगी परीक्षा पास करनी होगी।
सरकार की सख्ती |
कर्मयोगी प्रमाणपत्र न पेश करने वालों को तब तक वेतन नहीं मिलेगा, जब तक वे इस परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं करते। नये भारत के अनुरूप कैबिनेट ने सितम्बर, 2020 में मिशन कर्मयोगी योजना को मंजूरी दी थी जिसके अनुसार सिविल सेवाओं में भर्ती के बाद सुधार लाने और कर्मचारियों हेतु मिशन कर्मयोगी मानव संसाधन विकास कार्यक्रम शुरू करना था ताकि उनका प्रदर्शन बेहतर हो सके।
वर्तमान कार्य-संस्कृति को समाप्त कर, राष्ट्र के दृष्टिकोण, केंद्र सरकार की आकांक्षा तथा तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामान्य मंच द्वारा प्रशिक्षण पाठय़क्रम उपलब्ध कराना है। सरकार ने आई-गोट नाम का पोर्टल तैयार किया है जिसमें रिकॉर्डेड पाठय़क्रम हैं, जिन्हें कर्मचारियों को सुनना है। इन पर पूछे गए सवालों का जवाब देने के बाद उनका मूल्यांकन किया जा रहा है। हालांकि यह प्रशिक्षण कोर्स मात्र दो-तीन घंटों का ही है, जिसमें अपनी भूमिका का निर्वाह कैसे करें, सार्वजनिक नीतियों को सबसे निचले स्तर तक लागू करने और नियम आधारित प्रणाली में पारंगत होने जैसी बुनियादी चीजें हैं।
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और नागरिकों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के प्रति जिम्मेदाराना सलीका प्रदान करने के प्रति दायित्व बढ़ता जा रहा है। सरकार की मंशा जनता को सरकारी कामकाज में आने वाली अड़चनों को दूर करना है ताकि अब तक जारी लालफीताशाही समाप्त हो सके। सरकारी कर्मचारियों के टालू रवैये और नागरिकों को नियमित कामों में आने वाली दिक्कतों से निजात मिल सके।
याद रखिए, जब सरकारी कामकाज में कंप्यूटरीकरण की योजनाएं लागू होने की बात हुई थी, तब भी महकमे के कर्मचारियों ने ना-नुकुर किया था। उन्हें फाइलों के ढेर और कागजों में काम करने की आदत जो पड़ चुकी थी। सरकार को वेतन रोकने जैसी सख्त हिदायत इसीलिए देनी पड़ी होगी कि अमूमन कर्मचारी ऐसे आदेशों पर ढुल-मुल रवैया अपनाते हैं। सरकारी नीतियों से असहमति के बावजूद कर्मचारियों के कामकाज को सुगम बनाने और नागरिकों के लिए पारदर्शी और स्पष्ट नियमों का अनुशरण करने में कोताही नहीं करनी चाहिए।
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