अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या पंद्रह वर्षो में सबसे ज्यादा
ओपन डोर्स के मुताबिक शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 में अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या पंद्रह वर्षो में सबसे ज्यादा हो गई।
अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या पंद्रह वर्षो में सबसे ज्यादा |
अमेरिका में पढ़ रहे कुल विदेशी छात्रों में 29% भारतीय हैं जबकि पिछले सत्र में छात्र भेजने के मामले में चीन पहले तथा भारत दूसरे स्थान पर था। भारतीय छात्रों की यह संख्या पिछले साल की तुलना में 23% अधिक है। अमेरिकी दूतावास की तरफ से जारी ओपन डोर्स की रिपोर्ट के अनुसार चालू शैक्षणिक वर्ष में सबसे ज्यादा छात्र भेजने के मामले में भारत के बाद चीन, दक्षिण कोरिया, कनाडा और ताइवान हैं।
अमेरिकी शैक्षणिक सत्र प्राय: सितम्बर में शुरू होता है, जो मई तक चलता है। भारत अमेरिका में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्नातक (स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर के छात्र) भेजने वाला देश बन गया है। हालांकि गैर-डिग्रीधारी छात्रों की तादाद में 28% की गिरावट देखी गई है। सामाजिक-आर्थिक तौर पर समाज में आ रहे बदलाव का यह नतीजा कहा जा सकता है। आम भारतीय शिक्षा के महत्त्व को अच्छे से समझ रहा है। मध्यवर्गीय परिवार अपने बच्चों की शिक्षा को निवेश की तरह देख रहे हैं।
उन्हें अहसास है कि बेहतरीन शिक्षा नई पौध के उज्जवल भविष्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बच्चों का करियर बनाने के लिए वे ऋण लेकर उन्हें विदेश पढ़ने भेजने में भी संकोच नहीं कर रहे। दूसरे, असल मायनों में विश्व अब ग्लोबल विलेज बनता जा रहा है।
इंटरनेट ने दुनिया भर की जानकारी और मार्गदर्शन के नये क्षेत्रों को अधिक स्पष्ट किया है। देश में ज्यों-ज्यों आर्थिक समृद्धि आ रही है, आम मध्यवर्गीय परिवार भी अपने जीवन स्तर को उठाने के लिहाज से बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए विदेशी और नामी विविद्यालय में भेजने को उत्सुक है। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना है कि देश में शिक्षा का गिरता स्तर भी इसके लिए बहुत हद तक दोषी है।
करियर के प्रति गंभीर छात्र जानते हैं, विदेशी डिग्रियों के बल पर अपने सपनों को बेहतर उड़ान देने में आसानी से सक्षम हो सकते हैं। मेधावी और मेहनती छात्रों के लिए विस्तरीय शिक्षा महत्त्वपूर्ण हो चुकी है।
सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों के अमेरिका में पढ़ने पर पीठ थपथपाने की बजाय हमें देश के भीतर भी शिक्षा का स्तर बेहतर करने के प्रयास करने चाहिए क्योंकि अभी भी देश में बड़ा वर्ग ऐसा है, जो वजीफा मिलने के बावजूद बच्चों को सात समुंदर पार पढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता।
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