विदेश में संपत्ति की आय का खुलासा करना अनिवार्य
आयकर विभाग ने करदाताओं को आगह करते हुए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें आगाह किया गया है कि अपने आय कर रिटर्न में विदेश में स्थित संपत्ति या विदेशों में अर्जित आय का खुलासा करना अनिवार्य है।
चेतावनी है जरूरी |
ऐसा न करने पर काला धन विरोधी कानून के तहत दस लाख रुपए का जुर्माना लग सकता है। विभाग ने अनुपालन सह-जागरूकता अभियान के तहत सार्वजनिक परामर्श जारी किया। विदेशी परिसंपत्ति में बैंक खाते, नगद मूल्य बीमा अनुबंध या वाषिर्की अनुबंध, किसी इकाई या व्यवसाय में वित्तीय हित, अचल संपत्ति, इक्विटी, ऋण, अगर ट्रस्टी है, सेटलर का लाभार्थी, हस्ताक्षर प्राधीकरण वाले खाते, विदेश में रखी कोई पूंजीगत परिसंपत्ति आदि शामिल है।
विदेशी परिसंपत्ति या विदेशी स्रेत से आय अनुसूची को अनिवार्य रूप से भरना होगा। भले ही यह आय कर योग्य सीमा से कम हो या विदेश में संपत्ति प्रकट स्रेतों से अर्जित की गयी हो। देश में ज्यों-ज्यों कर दाताओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, आय कर विभाग पर अतिरिक्त भार भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। निजी तौर पर नई कर व्यवस्था चुनने वाले 2024-2025 वित्त वर्ष में बढ़ कर 7.28 से अधिक हो चुके हैं। हालांकि इनमें से 70 फीसद लोगों पर कोई देनदारी नहीं बनती थी।
इसके बावजूद कर चोरी की शिकायतें कम नहीं हो रही हैं। दरअसल, आय कर विभाग उन चुनिंदा अति समृद्ध पूंजीपतियों पर नकेल कसना चाहता है, जो जानबूूझकर अपनी आय छिपाने के प्रयास करते हैं। हालांकि यह कहना गलत नहीं हैं कि दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अभी भी अपने यहां कुल आबादी का 1.6 फीसद ही करदाता हैं। भारत से जाकर विदेशों में नौकरियां करने वालों की संख्या में सालों-साल इजाफा होता जा रहा है।
ये पालकों को वहां से धन ही नहीं भेजते बल्कि पैसों की हेरा-फेरी करने के लोभ में गोपनीय खाते खोलने या संपत्तियों में निवेश को भी उत्सुक हो जाते हैं। अब तक ये सरकार की नजरों से बच जाया करते थे। जिस तरह आर्थिक अपराध बढ़ते जा रहे हैं। यह सवाल लाजमी है कि आय कर विभाग द्वारा तय की गई जुर्माने की रकम इतनी कम क्यों रखी गई है? जिस तरह की चोरी या धूल झोंकने को लेकर चेतावनी दी जा रही है, वे लोग कुछ लाख रुपए के लिए ये हथकंडे नहीं अपनाते। विभाग को स्वयं भी अपने आंख-कान खुले रखने चाहिए।
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