Jhansi Medical College Fire: लापरवाही की कीमत

Last Updated 18 Nov 2024 12:43:03 PM IST

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज में लगी आग में दस नवजात शिशुओं की मौत हो गई। जिस वार्ड में आग लगी उसमें 49 (या 50) बच्चे भर्ती थे। वे इस बुरी तरह जल चुके थे कि कुछ शवों की पहचान भी नहीं हो पाई।


लापरवाही की कीमत

कहा गया कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। नवजात ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, इसलिए आग तेजी से फैलती गई। इसी वर्ष मई में दिल्ली के विवेक विहार में बेबी केयर अस्पताल में लगी आग में सात नवजात बिल्कुल इसी तरह जल कर मर गए थे।

वहां भी आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया था। महाराष्ट्र के भंडारा जिले के अस्पताल में 2021 में नयूबॉर्न केयर यूनिट में लगी आग में भी दस नवजात जल कर मारे गए थे। विशेषज्ञ मानते हैं कि नवनिहालों के लिए बने आईसीयू बहुधा जोखिम में हैं, परंतु सरकार और व्यवस्था इसके प्रति घोर लापरवाही बरतती है।

बहुत कमजोर या समय से पहले जन्मने वाले, सांस लेने में तकलीफ होने पर, किसी जन्मजात बीमारी या संक्रमण के चलते नवजात को प्रसूति अस्पतालों में बने नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट यानी एनआईसीयू में रखा जाता है जहां प्रयोग होने वाले सारे यंत्र बिजली के माध्यम से चलते हैं जिनकी देखभाल का जिम्मा विशेषज्ञों और पैरा मेडिकल स्टाफ का होता है। यह यूनिट बेहद संवेदनशील मानी जाती है।

अस्पतालों जैसी संवेदनशील जगहों में आग लगने के मुख्य कारण बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट होने के अलावा वायरिंग पुरानी होना, ओवरहीटिंग/ओवरलोडिंग, उचित या वक्त पर देखभाल करने में जानीबूझी  लापरवाही होते हैं। अपने यहां यूं भी अस्पतालों और नर्सिग होम्स में मरीजों की देखभाल के तय मानकों की अनदेखी की जाती है। बताते हैं कि देश में बच्चों के ढेरों ऐसे आईसीयू हैं, जो नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर जैसी एजेंसियों से मान्यताप्राप्त नहीं हैं।

जितने बिस्तरों की इजाजत ली जाती है, उससे कई गुना ज्यादा बच्चों को भर्ती कर लिया जाता है। चिकित्सा पेशेवरों को अपनी सुरक्षा के साथ ही मरीजों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। घटना की उच्चस्तरीय जांच के आश्वासन के साथ पीड़ित परिवार को मुआवजे  का ऐलान किया गया है मगर इतने से उजड़ी गोद तो हरी नहीं हो सकती।

दोषी एजेंसियों, फायर सेफ्टी और अस्पताल प्रबंधन को बख्शा नहीं जा सकता। ऐसी भीषण घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। बच्चे हमारे साझा हैं, उनकी जान की कीमत आंकना हम सबके लिए नामुमकिन है।



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