हरियाणा के चुनावी महाभारत में अनुमान फिर गलत

Last Updated 10 Oct 2024 11:14:16 AM IST

भाजपा ने हरियाणा के चुनावी महाभारत में सत्ता विरोधी लहर को लेकर राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को धता बताते हुए ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए राज्य में लगातार तीसरी बार जीत हासिल की।


जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस के चुनावपूर्व गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बहुमत हासिल कर लिया और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के फिर मुख्यमंत्री की शपथ लेना तय है। मतगणना पूर्व तमाम सर्वेक्षणों में हरियाणा में भाजपा की हार की बात कही गई थी और इसके पीछे इसके दो कार्यकाल के चलते सत्ता-जनित जनाक्रोश को प्रमुख कारण के रूप में गिनाया गया था।

जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ मतगणना पूर्व सर्वेक्षणों में त्रिशंकु विधानसभा जैसा परिदृश्य उभरने की बात कही थी। जिस तरह का नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन रहा है, उससे यह अनुमान भी गलत साबित हुआ। पांच अक्टूबर को मतदान होने के तुरंत बाद जारी हुए विभिन्न सर्वेक्षणों में हरियाणा में कांग्रेस को 44-65 सीटें जबकि भाजपा को 18-32 सीटें मिलने की बात कही गई थी।

मतगणना के दिन तक भाजपा के लिए हालात तनावपूर्ण और कांग्रेस के  लिए उत्साह से लबरेज रहे। कांग्रेस नेताओं के बयानों से लग रहा था कि मुख्यमंत्री के लिए भारी खींचतान हो सकती है। पद के लिए पहले दावा करने के फेर में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा ने मतगणना के रोज से दो दिन पहले ही दिल्ली में डेरा डाल लिया था। लेकिन सर्वेक्षणों के अनुमान उलटे रहने से उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। पहली दफा नहीं है, जब मतगणना पूर्व अनुमान गलत साबित हुए हों।

लोक सभा चुनाव में भी भाजपा को जितनी सीटें जीतते बताया गया था, उससे कहीं कम सीटें उसे मिलीं। पूर्वानुमान तैयार करने वाली एजेंसियां बेहद एहतियात के साथ आंकड़े जुटाती हैं, और उनका विश्लेषण करके संभावित नतीजे जाहिर करती हैं। लेकिन अनुमानों को धता बताते हुए नतीजे ठीक उलट निकलते हैं, तो एजेंसियों की खासी किरकिरी भी होती है। बेशक, ये एजेंसियां खासी मेहनत करती हैं, पर मतदाताओं के मन की टोह लेने में चूक कर जाती हैं।

पूर्वानुमान गलत साबित होने के साइड इफेक्ट के तौर पर ईवीएम में छेड़छाड़ का जिन्न फिर उठ खड़ा होता है। इस बार भी ईवीएम में छेड़छाड़ और उनमें स्लो हीट जैसी बातें कही जा रही हैं। हरियाणा में अपनी जीत को लेकर कांग्रेस पूर्वानुमानों के चलते इस कदर आस्त हो गई थी कि अब हार को नहीं पचा पा रही। अपनी जीत की चोरी जैसी बात कह रही है।



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