RG Kar Case : भरोसा बनाए रखें
पश्चिम बंगाल के आरजी कर अस्पताल के करीब पचास चिकित्सकों ने इस्तीफा दे दिया है। ट्रेनी महिला डॉक्टर के रेप-हत्या की घटना के बाद न्याय की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे चिकित्सकों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया।
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इसके बाद राज्य के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों के कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों ने भी कहा कि वे एकजुटता दिखाने के लिए इस्तीफा दे सकते हैं।
राज्य संचालित अस्पतालों के चिकित्सकों के एक संगठन का कहना है कि अगर सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों की उचित मांगों पर अपने पैर खींचती रही तो वह सरकारी चिकित्सकों से इस्तीफा देने के लिए राज्यव्यापी आह्वान के लिए मजबूर होगा।
अस्पताल से दस डॉक्टरों को वित्तीय अनियमितता, यौन उत्पीड़न और धमकी की संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोपों में निष्कासित किए जाने के बाद से डॉक्टरों में गुस्सा बढ़ा है। इस मामले में मुख्य दोषी संजय राय के अलावा सीबीआई द्वारा पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया जा चुका है।
रेप व र्मडर का मामला सामने आने के बाद इस अस्पताल में लगातार विभिन्न खुलासे हो रहे हैं जिनसे स्पष्ट हो रहा है कि यहां अराजकता, लापरवाही और आर्थिक हेराफेरी चरम पर थी। डॉक्टरों का आक्रोश नाजायज नहीं कहा जा सकता।
मगर इन अनियमितताओं में शामिल किसी भी शख्स को इसलिए छूट नहीं दी जा सकती कि वह पेशे से चिकित्सक है। इस्तीफा देने को उतावले नाराज डॉक्टरों को इस हकीकत को स्वीकारना चाहिए।
उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है परंतु गंभीर मरीजों और नियमित जांच के लिए आने वाले बीमारों की दिक्कतों की उन्हें अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सीबीआई, ईडी और अदालत आदि अपना-अपना काम मुस्तैदी से कर रहे हैं। चिकित्सकों को इन पर विश्वास करते हुए अपना प्रतिरोध सहजतापूर्वक करते रहना चाहिए।
राज्य इस वक्त दुर्गा-पूजा के उत्सव में मग्न है। बावजूद इसके इस वीभत्स घटना के प्रति उपजी निराशा और क्षोभ कम नहीं हो पाया है। सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने में देरी नहीं करनी चाहिए।
न ही चिकित्सकों को सामूहिक तौर पर ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे जनता की उनके प्रति आस्था और सहानुभूति कम हो जाए। वे याद रखें कि इस घटना के बाद से समूचा देश पूरी तरह डॉक्टरों के पक्ष में है।
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