जातियों को मुक्ति मुश्किल

Last Updated 05 Oct 2024 01:16:04 PM IST

सुप्रीम कोर्ट का जाति के आधार पर कैदियों से भेदभाव को गंभीर मानना वाकई चिंता का सबब है। शीर्ष अदालत ने इस प्रथा को खत्म करने और जेल नियमावली में संशोधन करने की भी सलाह केंद्र सरकार को दी है।


पीठ का मानना है कि जाति के आधार पर काम कराना उचित नहीं है, निचली जाति के कैदियों से सीवर टैंकरों की सफाई की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे नियमों को असंवैधानिक कहा। जेलों के अंदर जाति-आधारित भेदभाव के मामले को अदालत ने स्वत: संज्ञान लेकर ग्यारह राज्यों की कारागार नियमावली को निरस्त करते हुए तीन माह में रिपोर्ट मांगी है।

अदालत ने कहा जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ जारी संघर्ष में अदालत योगदान दे रही है और फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के तहत गैर-भेदभाव के पहलुओं पर गौर किया गया। नि:संदेह अदालत ने यह फै सला मानवीय आधार पर तथा जातियों के प्रति घृणा-अवमानना को देखते हुए किया है। मगर असलियत में हमारे यहां होने वाली राजनीति व आरक्षण जैसी सुविधाओं में जातियों का प्रमुखता से प्रयोग होता है। लंबे अरसे से जनगणना में जातियों की गिनती की बात जोरदारी से उठाई जा रही है।

सरकारी दस्तावेजों में जाति नाम चिह्नित करना अनिवार्य है। कानूनों में संशोधन कर इस तरह के भेदभाव को समाप्त करने में सरकारें सकुचाती हैं। क्योंकि जाति आधारित राजनीति करने में वे माहिर हैं। इसलिए उनकी प्राथमिकताओं में अंग्रेजों के बनाए नियमों को सुधारने की बात ही नहीं उठती। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद हम अब तक जातियों के पूर्वाग्रह और अंतहीन जंजाल से निकलने में पूर्णत: असफल हैं।

अपराधियोें को सजा अदालत देती है मगर कैद के दौरान उनके साथ किया जाने वाला जेलाधिकारियों का बर्ताव भी कई दफा बहुत पक्षपाती होता है। जातियों में किसी भी तरह के ऊंच-नीच की बात करना भी असंवैधानिक ही माना जाना चाहिए। दुनिया हर क्षेत्र में तेजी से तरक्की करती जा रही है, परंतु हम पीढ़ियों से चली आ रही संकीर्णताओं व रूढ़ियों की घुटन से बाहर निकलने को राजी ही नहीं हैं। यह वाकई बेहद सोचनीय मसला है।

यह सलाह सिर्फ जेल नियमावली तक ही नहीं सीमित होनी चाहिए। बल्कि इस तरह का सुधारवादी कदम पूरे समाज में सख्तीपूर्वक लागू किए जाने की जरूरत है। छुआछूत या जाति-आधारित भेदभाव से मुक्त स्वस्थ समाज की नींव डालने और नई पीढ़ियों को इस दलदल से मुक्त रखने की पहल हमें समय रहते करनी होगी।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment