नई पार्टी से उम्मीदें

Last Updated 05 Oct 2024 01:13:13 PM IST

बिहार में प्रशांत किशोर ने गांधी जयंती के दिन एक नई पार्टी ‘जनसुराज’ की घोषणा की है। यह वही प्रशांत किशोर हैं जो चुनाव विशेषज्ञ माने जाते रहे हैं।


नई पार्टी से उम्मीदें

अंतत: किसी भी दल को मनोनुकूल न पाकर उन्होंने जनता की लामबंदी के लिए बिहार में करीब 5000 किलोमीटर की पदयात्रा की। लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए संगठन बनाया और एक नई पार्टी की घोषणा कर दी।

उनकी यह ‘जनसुराज पार्टी’ बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव जोर-जोर से लड़ने का मन बना रही है। प्रशांत किशोर ने बिहार को बदलने का लक्ष्य सामने रखा है। यह एक सच्चाई है कि भारतीय जनता का एक बड़ा वर्ग मौजूदा राजनीतिक दलों की रीतियों और नीतियों से निराश हो चुका है।

यह वर्ग मानता है कि इस समय चाहे राष्ट्रीय दल हो या क्षेत्रीय दल आर्थिक-सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर अपेक्षित बदलाव लाने में असमर्थ रहे हैं। इसलिए जब कोई सार्वजनिक जीवन का चर्चित व्यक्ति नई राजनीतिक पहल करता है तो निराश जन-मन उससे जुड़ जाता है।

अरविंद केजरीवाल ने जब आम आदमी पार्टी (आप) की घोषणा की थी और चालू राजनीति के स्थान पर एक नए प्रकार की जान सरकारी भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति देने की घोषणा की थी तो जनता ने उनमें उम्मीद की एक किरण देखी थी।

लोग उनसे जुड़े अंतत: वे दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए। लेकिन अब उनकी राजनीति वैकल्पिक राजनीति न होकर चालू राजनीति का ही हिस्सा मानी जा रही है। प्रशांत किशोर के संदर्भ में केजरीवाल और आप का उल्लेख इसलिए जरूरी है कि किशोर भी कुछ-कुछ उसी तरह की उम्मीदें जगा रहे हैं।

उन्होंने आप की सफलताओं-असफलताओं से और पार्टी के नेताओं के आचरण से निश्चित ही कुछ सबक सीखे होंगे। इसमें कोई संदेह नहीं की बिहार की राजनीति अपने सारे अंतर्विरोधों के साथ किसी भी वास्तविक परिवर्तन की संभावनाओं पर विराम बन चुकी है।

ऐसी स्थिति में किशोर का यह कदम उम्मीद जगाता है बशत्रे कि उनकी परिणति आप जैसी न हो। बहरहाल जनसुराज की भावी गतिविधियों को लेकर उत्सुकता बनी रहेगी।



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