छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सफाया
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर सुरक्षा बलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया।
नक्सलियों का सफाया |
शनिवार को अड़तालीस घंटे चले इस ऑपरेशन में 1500 से ज्यादा जवान शामिल थे। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद पहली बार है जब सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया।
मुठभेड़ स्थल बीहड़ में है, जहां पहुंचने के लिए मोटरसाइकिल पर खेत और कच्चे रास्तों से होते हुए 10 से ज्यादा घंटे का समय लगता है। चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और मानसून से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद सुरक्षा बलों ने अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
सफलता इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि मारे गए नक्सलियों में 16 वरिष्ठ हैं, जिन पर 1.30 करोड़ रुपए से अधिक का इनाम था। इसलिए भी कि ये नक्सली माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) से जुड़ी वरिष्ठ नक्सली नीति उर्फ उर्मिला भी मारी गई है, जिस पर 25 लाख का इनाम था। नक्सलियों के सफाये के लिए मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
यही कारण है कि वामपंथी उग्रवाद अपनी अंतिम सांस गिनता दिखलाई पड़ रहा है। मोदी सरकार कह चुकी है कि मार्च, 2026 तक वह नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए वह नक्सल प्रभावित राज्यों को इस समस्या से निपटने के लिए हर संभव सहायता मुहैया करा रही है।
सोमवार सात अक्टूबर को भी केंद्रीय गृह मंत्री नक्सल प्रभावित 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ उनके वहां सुरक्षा स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक करेंगे। इस तरह की समीक्षा बैठक इससे पहले 6 अक्टूबर, 2023 को की गई थी, जिसमें वामपंथी उग्रवाद को उखाड़ फेंकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए थे।
इसी का परिणाम है कि 2024 में सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ आशातीय सफलता मिली है। नक्सलियों की संख्या तेजी से कम हुई है, और बताया गया है कि उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या मात्र 38 रह गई है। दरअसल, नक्सल समस्या बहुआयामी है।
कानून-व्यवस्था से भी ज्यादा इसके सामाजिक-आर्थिक आयाम महत्त्वपूर्ण हैं। इसलिए नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार विकास कार्यों पर खासा बल दे रही है। सड़क नेटवर्क पर तरजीही आधार पर ध्यान दिया जा रहा है।
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