पिता की क्रूरता
राजधानी दिल्ली के कंझावला थाना क्षेत्र के पूठकलां गांव में दो बच्चियां पैदा होने से गुस्साए पिता द्वारा उन्हें मारकर दफनाए जाने का मामला प्रकाश में आने पर हर कोई सन्न है।
पिता की क्रूरता |
बच्चियों की मां ने पुलिस में मामला दर्ज कराया तो पुलिस ने एसडीएम की अनुमति लेकर दफनाई गई बच्चियों को श्मशान घाट से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मामला बीस दिन पहले का बताया जा रहा है। हरियाणा के रोहतक की रहने वाली पूजा की शादी दिल्ली देहात के पूठकलां गांव में हुई थी।
उन्होंने रोहतक स्थित निजी अस्पताल में दो बच्चियों को जन्म दिया तो उनका पति नीरज सोलंकी अस्पताल पहुंचा और दोनों बच्चियों को लेकर रफूचक्कर हो गया। बाद में अपने गांव में दोनों मासूमों की हत्या करके दफना दिया। हैरत की बात यह कि उसके कृत्य में उसके परिजन भी बराबर शरीक रहे। पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
इस बीच आरोपी अपने परिजनों संग फरार हो गया है। कितना दुखद है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ संकल्प दिलाते हैं, तो दूसरी तरफ बेटियों के प्रति इस कदर क्रूर चेहरा हमारे समाज में दिखलाई पड़ता है।
वैसे तो समूचे देश में ही बेटों के प्रति लालसा एक समान है, लेकिन राजधानी से सटे हरियाणा और आसपास के इलाकों में लोग क्रूरता की हद पार करते रहे हैं। ऐसा भी हुआ जब हरियाणा में महिला-पुरुष अनुपात तक गड़बड़ा गया। बेटों के प्रति लालसा के तमाम उदाहरण हैं।
हरियाणा की एक नामी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ने बताया था कि उनके जन्म के समय उनकी दादी इस कदर नाराज हुई कि उन्हें ले जाकर कूड़ी पर डाल आई। गनीमत रही कि आसपड़ोस की महिलाएं उन्हें वहां से उठा लाई। उनकी दादी की खासी लानत-मलामत की।
उन्हीं लड़की ने अपने खेल में विश्व में नंबर वन रैंकिंग हासिल की। बेटी को लेकर लोगों का माइंडसेट होता है कि उसे तो शादी के बाद दूसरे घर चले जाना है, और परिवार की रिवायतों को तो बेटा ही आगे बढ़ाएगा।
हालांकि बेटे परिवार की मिट्टी खराब करते देखे गए हैं, लेकिन लोग हैं कि उनका विवेक नहीं जाग पा रहा। बेटी भी अच्छे से तरबियत मिलने पर घर-परिवार का नाम रोशन करती है। दुखद यह है कि सामंती सोच के लोग बेटियों की महिमा, मर्यादा और परिवार के प्रति उनके समर्पण भाव को नहीं देख पाते। घर में जन्मने वाली बेटी भी उतनी हकदार है, जितना आप बेटे को मान बैठे हैं।
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