डीयू की पहल

Last Updated 30 May 2024 12:12:55 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय ने एकल बालिका आरक्षण के तहत दाखिला शुरू किया है। इस बाबत फैसले के मुताबिक, 2024-25 के लिए सुपरन्यूमैरेरी कोटा के तहत सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए सभी कॉलेजों और विभागों की प्रत्येक कक्षा में एक-एक सीट आरक्षित रखी जाएगी।


डीयू की पहल

बीते साल दिल्ली विश्वविद्यालय ने देश में पहली बार अनाथ छात्रों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की थी। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय है, और हर हाल यहां स्नातक, परास्नातक और पीएचडी पाठय़क्रमों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी होड़ होती है।

सीयूईटी यानी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा की जाने वाली कॉमन यूनिवर्सिटी इन्ट्रेंस टेस्ट व्यवस्था (सीयूईटी) भी यहां 2022 से लागू है। यह राष्ट्रीय स्तर की विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा है। बीते वर्ष छत्तीस लाख से ज्यादा छात्र इस परीक्षा में शामिल हुए थे जिनमें से बाइस हजार छात्रों के सौ परसेंटाइल स्कोर थे।

जाहिर है कि ऐसे में स्नातक करने के लिए सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रवेश मुश्किल हो जाता है। उस पर डीयू में पढ़ना मेधावी छात्रों का स्वप्न होता है। यूं तो सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें में इकलौती लड़कियों को सुविधाएं दी जा रही हैं और अनेक केंद्रीय विद्यालयों में यह व्यवस्था पहले से ही है।

वहां इकलौती बच्चियों के लिए दो सीटें पहली कक्षा के प्रति अनुभाग में शुल्क मुक्त हैं। 2011 में नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाएड इकोनोमिक रिसर्च के 2011 के अध्ययन के अनुसार 10% परिवार और एक-तिहाई कॉलेज जाने वाली युवतियां एक ही बच्चा चाहती हैं।

2018 के परिवार स्वास्थ्य सव्रे4 में पता चला कि 24% विवाहित महिलाएं और 27% पुरुष दूसरा बच्चा नहीं चाहते। परंतु यह सोच अभी शहरी, शिक्षित और संपन्न दंपतियों तक ही सीमित है। इसलिए उच्च शिक्षा में इस तरह का आरक्षण खास वर्ग तक ही सीमित रह सकता है।

इसका लाभ गरीबों, पिछड़ों और दूर-दराज के इलाकों के अभिभावकों तक नहीं जा सकता। शिक्षा को लेकर आम जन पहले के मुकाबले सतर्क होता नजर आ रहा है। इस तरह की योजनाओं के लाभ के सहारे बेहतर भविष्य बनाने की चाह रखने वाली बेटियों की राह के रोड़े यूं ही हटते रहेंगे।

इकलौती बेटियों के अभिभावकों को प्रोत्साहित करने का इस तरह का कोई भी कदम बेहद सकारात्मक कहा जाएगा जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपना कर तमाम अन्य शिक्षण संस्थाओं के समक्ष बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है।



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